ब्रिज कोर्स वाले विदेशी लॉ डिग्री धारक को AIBE के अलावा अन्य योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण करने की आवश्यकता नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य बार काउंसिल को निर्देश दिया कि वह विदेशी यूनिवर्सिटी से लॉ डिग्री धारक को, जिसने ब्रिज कोर्स के 2 वर्ष पूरे कर लिए हैं, AIBE के अलावा किसी अन्य योग्यता परीक्षा के लिए आग्रह किए बिना ब्रिज कोर्स के परिणामों के आधार पर अपने रोल पर नामांकित करे।
जस्टिस सूरज गोविंदराज की एकल पीठ ने करण धनंजय द्वारा दायर याचिका स्वीकार करते हुए कहा,
"मेरा विचार है कि 21.3.2023 की अधिसूचना (बार काउंसिल ऑफ इंडिया (CBI) द्वारा जारी) के अनुसार ऐसे डिग्री धारक को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के अलावा कोई अन्य योग्यता परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं है। प्रतिवादी नंबर 3 (KSBC) को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ता को ब्रिज कोर्स के परिणामों के आधार पर किसी अन्य योग्यता परीक्षा के लिए आग्रह किए बिना अपने रोल पर नामांकित करे।"
याचिकाकर्ता ने अपनी 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ लॉज़ विद ऑनर्स में एडमिशन प्राप्त किया था। यह यूनिवर्सिटी विदेशी यूनिवर्सिटी की सूची में है, जिसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त है। उन्होंने वर्ष 2020 में ऑनर्स के साथ बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की। पाठ्यक्रम की अवधि 2017 से 2020 तक 3 वर्ष की थी।
भारत लौटने पर उन्होंने वर्ष 2023 में NLSIU में अपना ब्रिज कोर्स सफलतापूर्वक पूरा किया, लेकिन विदेशी लॉ डिग्री रखने वाले भारतीय नागरिकों के लिए योग्यता परीक्षा पास नहीं कर सके।
भारत में अधिसूचना के अनुसार, लॉ डिग्री हासिल करने का पैटर्न या तो 12 + 3 साल (स्नातक) + 3 साल की LLB डिग्री या 12 +5 साल की एकीकृत लॉ डिग्री है। वे उम्मीदवार जिन्होंने इस तरह के पैटर्न का पालन नहीं किया और फिर भी किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से लॉ डिग्री हासिल की, जिनकी लॉ डिग्री BCI द्वारा मान्यता प्राप्त है, वे 1 साल या 2 साल का ब्रिज डिग्री कोर्स करके कम वर्षों की पूर्ति कर सकते हैं।
दूसरी ओर, यदि किसी भारतीय नागरिक ने BCI द्वारा मान्यता प्राप्त किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से 12+3 (ग्रेजुएट) + 3 साल की लॉ डिग्री की है तो उसे कोई ब्रिज कोर्स करने की आवश्यकता नहीं है। वह BCI से एक पत्र/प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद विदेशी लॉ डिग्री रखने वाले भारतीय नागरिकों के लिए योग्यता परीक्षा में बैठने के लिए पात्र होगा। इसमें कहा गया कि उक्त विदेशी डिग्री को संबंधित भारतीय कानून की डिग्री के बराबर माना जाएगा, बशर्ते कि उम्मीदवार विदेशी लॉ डिग्री रखने वाले भारतीय नागरिकों के लिए योग्यता परीक्षा में उत्तीर्ण हो।
याचिका में दावा किया गया कि ब्रिज कोर्स उन स्टूडेंट के लिए शुरू किया गया, जिन्होंने 2017 से विदेशी यूनिवर्सिटी से अपनी डिग्री प्राप्त की थी। इस प्रकार, BCI द्वारा निर्धारित देश के सर्वश्रेष्ठ लॉ कॉलेजों में ब्रिज कोर्स करने के बाद BCI द्वारा एक और परीक्षा से गुजरने की आवश्यकता आश्चर्यजनक है।
“भारत में BA/BBA/B.Com LLB ऑनर्स 12वीं कक्षा के बाद 5 साल की अवधि के लिए है। याचिकाकर्ता ने अब उन स्टूडेंट के साथ समानता हासिल की, जिन्होंने भारत में उपरोक्त कोर्स पूरा किया। याचिका में कहा गया कि यह समानता उन्होंने अपनी ग्रेजुएट, तीन साल की LLB डिग्री और दो साल का ब्रिज कोर्स पूरा करके हासिल की है, जो उनकी पीयूसी/12वीं कक्षा के बाद कुल मिलाकर पांच साल का होगा।
यह तर्क दिया गया कि चूंकि भारतीय नागरिक जो अपना 5 वर्षीय पाठ्यक्रम पूरा करते हैं, उन्हें केवल अखिल भारतीय बार परीक्षा उत्तीर्ण (AIBE) करनी होती है, इसलिए याचिकाकर्ता को परीक्षाओं के 3 सेट लिखने पड़ते हैं, पहला ब्रिज कोर्स जिसमें भारतीय यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भारतीय स्टूडेंट के समान प्रचलित मानकों के अनुसार वर्णनात्मक प्रकार के 8 पेपर शामिल होते हैं, दूसरा विदेशी लॉ डिग्री रखने वाले भारतीय नागरिकों के लिए योग्यता परीक्षा होती है, जिसमें फिर से वर्णनात्मक प्रकृति के ब्रिज कोर्स में उल्लिखित 6 पेपर शामिल होते हैं और AIBE, जिसमें एक ही पेपर होता है, संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
याचिका में 19.09.2020 की BCI अधिसूचना के उस हिस्से को रद्द करने की प्रार्थना की गई, जिसमें विदेशी लॉ डिग्री रखने वाले भारतीय नागरिकों के लिए योग्यता परीक्षा आयोजित करना अनिवार्य है। इसने BCI को यह घोषित करने का निर्देश देने की भी मांग की कि AIBE विदेशी लॉ डिग्री रखने वाले भारतीय नागरिकों और LLB डिग्री वाले भारतीय नागरिकों दोनों के लिए सामान्य योग्यता परीक्षा होगी और परीक्षाओं के कई सेट नहीं होंगे।
केस टाइटल: करण धनंजय और बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं अन्य