RTI Act के तहत पासपोर्ट की कॉपी किसी तीसरे पक्ष को नहीं दी जा सकती: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2025-10-25 07:23 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि चेक अनादर के आरोपी व्यक्ति के पासपोर्ट से संबंधित जानकारी, जिसमें पासपोर्ट की प्रति भी शामिल है, व्यक्तिगत प्रकृति की है और सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI Act) के तहत इसका खुलासा नहीं किया जा सकता।

अदालत ने यह भी कहा कि इस खुलासे को RTI Act की धारा 8(1)(एच) के तहत छूट दी गई, क्योंकि यह ऐसी जानकारी है, जिसके खुलासे से जांच में बाधा उत्पन्न होगी और धारा 24(4) के अनुसार यह अधिनियम राज्य सरकार द्वारा गठित और स्थापित विशेष खुफिया और सुरक्षा संगठनों/इकाइयों पर लागू नहीं होता है।

जस्टिस सूरज गोविंदराज ने कहा:

"मेरे विचार से पासपोर्ट जैसी जानकारी का खुलासा, व्यक्तिगत प्रकृति का होने के कारण किसी व्यक्ति को भारी नुकसान और क्षति पहुंचा सकता है। पासपोर्ट का विवरण किसी व्यक्ति के लिए निजी होता है और यदि पासपोर्ट का वह विवरण किसी तीसरे पक्ष को उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें NI Act की धारा 138 के तहत कार्यवाही दायर करने वाला याचिकाकर्ता भी शामिल है तो इससे संबंधित व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है।"

प्रकाश चिमनलाल शेठ ने परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के अंतर्गत निजी शिकायत दर्ज कराई। इस मामले में अभियुक्त के फरार होने के बाद लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया, जिसके अनुसरण में अभियुक्त को मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया और बाद में रिहा कर दिया गया।

उन्होंने अभियुक्त के पासपोर्ट की कॉपी अभियुक्त के विरुद्ध लुकआउट सर्कुलर जारी होने की तिथि और उसके विरुद्ध जारी लुकआउट सर्कुलर की एक प्रति उपलब्ध कराने के लिए सूचना के अधिकार के तहत एक आवेदन किया।

यह आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि RTI Act के नियम 8(1)(एच) के तहत मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। साथ ही इस आधार पर भी कि मांगा गया दस्तावेज़ विशेष शाखा से संबंधित है और जारी अधिसूचना के अनुसार, RTI Act जिला पुलिस कार्यालयों की विशेष शाखाओं पर लागू नहीं होता। अपील में इस आदेश की पुष्टि की गई। इसके विरुद्ध शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

पीठ ने कहा कि RTI Act की धारा 8 के तहत छूट उन सूचनाओं को उपलब्ध है, जो अपराधियों की जांच, गिरफ्तारी या अभियोजन की प्रक्रिया में बाधा डालती हैं। RTI Act की धारा 8(1)(एच) के अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि प्राधिकारियों ने RTI Act की धारा 24(4) के तहत जारी अधिसूचना के अनुसार विशेष इकाइयों पर RTI Act लागू न होने के कारण इसके प्रकटीकरण को स्पष्ट रूप से अस्वीकार किया।

बता दें, RTI Act की धारा 24(4) में प्रावधान है कि RTI Act में निहित कोई भी बात राज्य सरकार द्वारा संगठित और स्थापित किए जा रहे ऐसे किसी भी खुफिया और सुरक्षा संगठन पर लागू नहीं होगी, जैसा कि सरकार समय-समय पर राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निर्दिष्ट कर सकती है।

इसके बाद पीठ ने कहा,

"चूंकि यह तर्क दिया गया कि धारा 24 की उपधारा (4) के अनुसार जिला पुलिस अधिकारियों की विशेष शाखाओं को छूट देने वाली अधिसूचना जारी की गई, इसलिए RTI Act लागू नहीं होगा।"

याचिका खारिज करते हुए अदालत ने स्पष्ट किया,

"यदि याचिकाकर्ता NI Act की धारा 138 के तहत कार्यवाही के अभियोजन में उपयोग के लिए उक्त जानकारी की मांग कर रहा है तो याचिकाकर्ता उक्त कार्यवाही में उन दस्तावेजों को तलब करने के लिए हमेशा आवेदन कर सकता है, जिस पर अदालत अपने विवेकानुसार विचार कर सकती है। यह स्पष्ट किया जाता है कि इस अदालत ने आवेदन के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की।"

Case Title: Prakash Chimanlal Sheth AND State of Karnataka & Others

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