'शिकायतकर्ता 'कुख्यात महिला', शिकायत दर्ज कराने की आदी', पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने कर्नाटक हाईकोर्ट से अपने खिलाफ दर्ज POCSO मामले में कहा

Update: 2024-12-11 04:04 GMT

बीएस येदियुरप्पा और अन्य आरोपियों के खिलाफ POCSO मामले में दायर चार्जशीट पर मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लिए जाने पर सवाल उठाते हुए पूर्व सीएम ने मंगलवार (10 दिसंबर) को कर्नाटक हाईकोर्ट से कहा कि शिकायतकर्ता 'कुख्यात महिला' है और उन्होंने कोर्ट से उसके बयानों पर संदेह जताते हुए कहा कि उसे इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

जस्टिस एम नागप्रसन्ना के समक्ष येदियुरप्पा की ओर से दलीलें पेश करते हुए सीनियर एडवोकेट सी वी नागेश ने शिकायतकर्ता का हवाला देते हुए कहा,

"शिकायत 14 मार्च को रात 10 बजे दर्ज की गई, जो अपराध की तारीख से करीब डेढ़ महीने बाद की बात है। इस बीच शिकायतकर्ता ने मुझसे आधा दर्जन बार मुलाकात की। मुझे उसके द्वारा दर्ज किए गए कथित बलात्कार के मामलों में कुछ कहने के लिए। वह एक कुख्यात महिला है।

उन्होंने कहा,

"मैं इस पर माननीय न्यायाधीश का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं, क्योंकि उसके बयान को गंभीरता से न लें, बल्कि उसे गंभीरता से लें।"

उन्होंने यह भी दावा किया कि शिकायतकर्ता मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति है।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता (जिस महिला की मृत्यु हो चुकी है) ने अपने पति, बेटे, डीजीआईजीपी, विपक्ष के नेता और अन्य के खिलाफ 50 से अधिक शिकायतें दर्ज कराईं।

उन्होंने कहा,

"राज्य सरकार इस चार्ट पर विवाद नहीं कर रही है, जो मैंने उसके द्वारा दर्ज मामलों के बारे में तैयार किया।"

चार्जशीट के संज्ञान के संबंध में नागेश ने कहा,

"मेरा कहना है कि इसे तुरंत ही दर्ज किया जाना चाहिए। कोई एफएसएल रिपोर्ट नहीं है, धारा 164 के तहत बयान अदालत के समक्ष नहीं है, लेकिन फिर भी मजिस्ट्रेट ने यह कहते हुए संज्ञान लिया कि मैंने दस्तावेजों का अध्ययन किया है। यह एक अंधे व्यक्ति की तरह है, जो अंधेरे कमरे में काली बिल्ली की तलाश कर रहा है।"

उन्होंने यह भी कहा कि अदालत को मामले को मजिस्ट्रेट अदालत में वापस नहीं भेजना चाहिए।

येदियुरप्पा की याचिका पर सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा,

"संज्ञान लेने के आदेश में कोई कारण नहीं दिया गया।"

नागेश ने अभियोजन पक्ष के इस कथन का भी खंडन किया कि शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था।

उन्होंने कहा,

"यह एक गलत कथन है।"

नागेश ने अभियोजन पक्ष द्वारा दायर उस आवेदन का भी विरोध किया, जिसमें 14 जून को न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश को निरस्त करने की मांग की गई, जिसमें पुलिस को येदियुरप्पा को गिरफ्तार करने से रोक दिया गया।

उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ अपराध POCSO Act की धारा 8 के तहत हैं, जिसके लिए अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है और धारा 354 आईपीसी के तहत अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है। इस प्रकार जांच कार्यालय ने मुझे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी किया।

इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि चूंकि मुझे पार्टी के काम से दिल्ली जाना था, इसलिए मैंने अधिकारी को इस बारे में बताया और बाद की तारीख में पेश होने की छुट्टी मांगी। हालांकि, अधिकारी ने मजिस्ट्रेट कोर्ट से संपर्क किया और मेरे खिलाफ वारंट जारी करवा लिया।

यह पूछे जाने पर कि क्या मजिस्ट्रेट याचिकाकर्ता को वारंट जारी कर सकता है, अगर वह पेश होने से बच रहा है तो नागेश ने कहा, "नहीं, जब वह फरार हो।"

न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा,

"मैं हर दिन देख रहा हूं कि पूछताछ के लिए NBW जारी किए जा रहे हैं और उद्घोषणाएं जारी की जा रही हैं।"

अंतरिम आदेश को निरस्त करने की मांग करते हुए अभियोजन पक्ष के वकील विशेष लोक अभियोजक प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने कहा,

"मैं यह समझने में विफल हूं कि याचिकाकर्ता को जमानत दी गई है या गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई। पारित आदेश की प्रकृति क्या है? इस तरह के मामले में ऐसी सुरक्षा नहीं दी जा सकती। याचिकाकर्ता के खिलाफ जघन्य अपराध किए गए।"

उन्होंने कहा,

"पीड़िता का बयान दर्ज किए जाने के समय याचिकाकर्ता को अदालत में उपस्थित रहना पड़ता है। अंतरिम आदेश निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही को बाधित कर रहा है।"

अदालत गुरुवार को आगे की दलीलें सुनेगी।

केस टाइटल: बी.एस. येदियुरप्पा और कर्नाटक राज्य

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