झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: DACP लाभ सिर्फ मुकदमा लड़ने वालों तक सीमित नहीं, सभी समान पदस्थ अधिकारियों को मिलेगा फायदा
झारखंड हाईकोर्ट ने डायनेमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (DACP) योजना को लेकर अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि इस लाभ को केवल उन्हीं मेडिकल अधिकारियों तक सीमित नहीं रखा जा सकता, जिन्होंने पहले अदालत से राहत मांगी थी। कोर्ट ने कहा कि DACP का लाभ उसी कैडर के सभी समान रूप से स्थित अधिकारियों को दिया जाएगा, चाहे उन्होंने न्यायालय का रुख किया हो या नहीं।
जस्टिस अनंदा सेन ने अपने निर्णय में कहा कि जब एक विशेष तिथि तय कर दी जाती है तो उस दायरे में आने वाले सभी व्यक्तियों को समान फायदा मिलना चाहिए। उन्होंने टिप्पणी की कि कट-ऑफ डेट को गलत घोषित करने वाला निर्णय किसी व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं होता बल्कि इसका प्रभाव सार्वभौमिक होता है। इसलिए जब कोई नीति पुनर्जीवित हो जाती है तो उसी कैडर के सभी योग्य अधिकारी उस नीति के लाभ पाने के हकदार होते हैं।
यह फैसला राम प्रसाद सिंह एवं अन्य द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनाया गया, जो राज्य के चिकित्सा कैडर के सदस्य हैं। उन्होंने राज्य सरकार से DACP सहित 5वें और 6वें वेतन संशोधन के अनुरूप 05.04.2002 और 29.10.2008 से सभी लाभों का पुनर्निर्धारण और भुगतान करने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने यह भी प्रार्थना की थी कि डिवीजन बेंच द्वारा दिए गए 02 अगस्त, 2023 के आदेश के आलोक में उनके बकाया और परिणामी लाभ जारी किए जाएं।
गौरतलब है कि DACP योजना मूल रूप से इन्हीं तिथियों से लागू थी लेकिन बाद में राज्य सरकार ने 11 सितंबर 2013 को जारी अपने संकल्प के माध्यम से कट-ऑफ डेट को बदलकर 01 सितंबर, 2008 कर दिया था। इसके बाद 15 जनवरी, 2014 को जारी अधिसूचना द्वारा पहले से दिए गए लाभ वापस ले लिए गए। इन आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाएं प्रारंभ में खारिज कर दी गई थीं परंतु हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 2018 में सिंगल जज का आदेश रद्द करते हुए स्पष्ट किया कि तारीख बदलने का निर्णय उचित नहीं था। इस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट जाकर भी राज्य को राहत नहीं मिली और अपील खारिज कर दी गई हालांकि कानूनी प्रश्न को खुला छोड़ दिया गया।
दूसरी ओर, राज्य सरकार ने अदालत में तर्क दिया कि याचिकाकर्ता फेंस सिटर्स हैं, अर्थात उन्होंने शुरू में नीति को चुनौती नहीं दी थी। इसलिए अब उन्हें लाभ देने का कोई औचित्य नहीं है। अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि जब डिवीजन बेंच ने यह निर्णय दे दिया कि मूल तिथि ही प्रभावी रहेगी तो इसका लाभ सभी पात्र अधिकारियों को स्वतः मिलेगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संशोधित नीति रद्द होने के बाद पुरानी नीति स्वतः प्रभाव में आ जाती है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार को डिवीजन बेंच के निर्णय के अनुरूप याचिकाकर्ताओं सहित सभी समान रूप से स्थित अधिकारियों को DACP का लाभ प्रदान करना होगा। साथ ही निर्देश दिया कि सभी परिणामी लाभ और बकाया राशि आदेश की प्रति प्राप्त होने के आठ सप्ताह के भीतर जारी की जाए।
हाईकोर्ट के इस आदेश के साथ याचिका स्वीकार कर ली गई, जिससे राज्य के मेडिकल अधिकारियों के एक बड़े वर्ग को राहत मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया।