"जम्मू-कश्मीर में कोई भी असुरक्षित खाद्य पदार्थ प्रवेश न करे": हाईकोर्ट ने सड़े हुए मांस और मिलावटी उत्पादों पर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए

Update: 2025-09-05 13:37 GMT

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर संभागों के पुलिस महानिरीक्षकों और खाद्य सुरक्षा आयुक्त तथा औषधि एवं खाद्य नियंत्रण संगठन, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि "खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के अनुसार कोई भी असुरक्षित खाद्य पदार्थ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में प्रवेश न करे।"

चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस राजेश ओसवाल की खंडपीठ एडवोकेट मीर उमर द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश में सड़े और अस्वास्थ्यकर मांस और पोल्ट्री उत्पादों की बड़े पैमाने पर बिक्री, प्रशासनिक लापरवाही और नगरपालिका एवं खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा प्रवर्तन में विफलता पर प्रकाश डाला गया था।

न्यायालय के निर्देश और टिप्पणियां

सड़े हुए मांस, मिलावटी मुर्गी और बिना प्रमाणीकरण या कोल्ड-चेन सुविधाओं के अस्वास्थ्यकर खेपों के परिवहन की बार-बार आ रही रिपोर्टों पर ध्यान देते हुए न्यायालय ने न्यायिक हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। न्यायालय ने कहा कि "जम्मू-कश्मीर, विशेष रूप से कश्मीर घाटी में, सड़े हुए, अस्वास्थ्यकर मांस, मछली और मुर्गी उत्पादों की बड़े पैमाने पर बिक्री से उत्पन्न गंभीर जन स्वास्थ्य संकट को दूर करने के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक है।"

न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि भेड़ एवं पशुपालन विभाग, आवास एवं शहरी विकास विभाग, बिक्री कर आयुक्त और दोनों क्षेत्रों के पुलिस महानिरीक्षकों को पक्षकार बनाया जाए, क्योंकि उनकी वैधानिक ज़िम्मेदारियां बूचड़खानों की निगरानी, ​​नगरपालिका विनियमन और खाद्य सुरक्षा कानूनों के प्रवर्तन में हैं।

"मीट द मीट माफिया" शीर्षक वाले एक अखबार के कॉलम का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि एक गुप्त गिरोह कश्मीर में "जानवरों के लिए भी उपयुक्त नहीं, इंसानों के लिए भी नहीं" मांस की आपूर्ति करता है। उन्होंने कई सरकारी सलाह के बावजूद अधिकारियों द्वारा व्यवस्थागत निष्क्रियता और घोर लापरवाही का आरोप लगाया।

उन्होंने मांस और मुर्गी के अस्वास्थ्यकर आयात, खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 और एफएसएस (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंसिंग एवं पंजीकरण) विनियम, 2011 के अनुपालन में विफलता और जम्मू-कश्मीर नगर निगम अधिनियम, 2000 के तहत लापरवाही के बारे में समाचार पत्रों और टीवी रिपोर्टों का हवाला दिया।

याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी बताया कि पहले सड़े हुए मांस के व्यापार में शामिल कुछ व्यापारी अब सिंथेटिक/मिलावटी पनीर बेचने लगे हैं। जीआरपी जम्मू से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर, खाद्य सुरक्षा शाखा ने श्री बालाजी ट्रेडिंग कंपनी से 2,100 किलोग्राम मिलावटी पनीर और 78 डिब्बे एक्सपायरी डेट का सरसों का तेल जब्त किया।

सीनियर एएजी मोहसिन कादरी ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि इस मामले को "जनहित में पूरी गंभीरता से" आगे बढ़ाया जा रहा है और आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई से पहले निवारक उपायों को रेखांकित करते हुए एक व्यापक हलफनामा दायर किया जाएगा।

Case Title: MIR UMAR Vs UNION TERRITORY OF JAMMU & KASHMIR AND ORS.

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