मंदिर की संपत्ति देवता के हाथों में: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने अनंतनाग के उपायुक्त को दो मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया
अनंतनाग में श्री रघुनाथ मंदिर और नागबल गौतम नाग मंदिर के प्रभावी और शांतिपूर्ण प्रबंधन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने अनंतनाग के उपायुक्त (जिला मजिस्ट्रेट) को इन मंदिरों और उनकी संपत्तियों के प्रबंधन पर नियंत्रण करने का निर्देश दिया।
इन मंदिरों के प्रबंधन के परस्पर विरोधी दावों को संबोधित करते हुए जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस एम.ए. चौधरी की पीठ ने इस आशय के निर्देश पारित किए।
बेंच ने परस्पर विरोधी दावों को संबोधित करते हुए टिप्पणी की,
"संपत्तियां देवता के पास हैं। इसलिए उन्हें प्रभावी और शांतिपूर्ण तरीके से प्रबंधित किया जाना चाहिए। दोनों पक्षों द्वारा किए गए प्रतिद्वंद्वी दावों को ध्यान में रखते हुए यह उचित होगा कि उपरोक्त दोनों मंदिर और उनसे जुड़ी संपत्तियां अनंतनाग के डिप्टी कमिश्नर (जिला मजिस्ट्रेट) के प्रबंधन के अधीन रखी जाएं।”
यह विवाद श्री रघुनाथ मंदिर और नागबल गौतम नाग मंदिर के प्रबंधन के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें याचिकाकर्ता और नए अभियुक्त प्रतिवादी दोनों ही दावे करते हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्हें महंत माधव दास जी द्वारा प्रबंधक के रूप में नियुक्त किया गया और वे 21 जून, 2010 से दोनों मंदिरों के मामलों का प्रबंधन कर रहे थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि नए अभियुक्त प्रतिवादी मंदिरों की संपत्तियों के लिए अजनबी थे और उनके प्रबंधन में उनका कोई वैध हित या हिस्सेदारी नहीं थी। उन्होंने आगे तर्क दिया कि नए अभियुक्त प्रतिवादी केवल एक व्यस्त व्यक्ति थे, जिनका मंदिर के मामलों में कोई वैध दावा या भागीदारी नहीं थी।
दूसरी ओर, नए अभियुक्त प्रतिवादी ने मंदिरों के प्रबंधन में रुचि का दावा करते हुए इसका विरोध किया, जिससे कानूनी टकराव की स्थिति पैदा हो गई।
अदालत की टिप्पणियां:
दोनों पक्षकारों के वकीलों द्वारा प्रस्तुत तर्कों पर विचार करने और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री की जांच करने के बाद अदालत ने पाया कि न तो याचिकाकर्ता और न ही नए अभियुक्त प्रतिवादी के पास मंदिरों या उनकी संपत्तियों पर कोई निहित अधिकार है। इसके बजाय ये संपत्तियां देवता में निहित हैं। इसलिए इनका प्रभावी और शांतिपूर्ण प्रबंधन आवश्यक है।
प्रबंधन विवाद को हल करने और मंदिरों और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट अनंतनाग को निर्देश दिया कि वे श्री रघुनाथ मंदिर और नागबल गौतम नाग मंदिर दोनों का प्रबंधन तुरंत अपने हाथ में लें साथ ही उनकी संपत्तियों का भी यदि पहले से ऐसा नहीं किया गया।
पीठ ने डीएम को यह भी आदेश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि इन मंदिरों से संबंधित संपत्तियों को कानूनी प्रक्रिया के अनुसार बहाल किया जाए।
पीठ ने कहा,
"जिला मजिस्ट्रेट दोनों मंदिरों और उनसे जुड़ी संपत्तियों के मामलों को प्रभावी तरीके से प्रबंधित करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की एक समिति गठित कर सकते हैं।"
याचिकाकर्ता और नए पक्षकार प्रतिवादी के परस्पर विरोधी दावों के मुद्दे पर न्यायालय ने उन्हें सिविल न्यायालय के समक्ष प्रबंधन के अपने अधिकारों के लिए आंदोलन करने की स्वतंत्रता दी।
वहीं पीठ ने रेखांकित किया कि जिला मजिस्ट्रेट अनंतनाग ऐसे किसी भी मुकदमे में आवश्यक पक्ष होगा और किसी भी आदेश को पारित करने से पहले उसकी बात अवश्य सुनी जानी चाहिए
पीठ ने निष्कर्ष निकाला,
"सिविल न्यायालय द्वारा पारित अंतिम डिक्री, यदि कोई हो, संबंधित संपत्तियों के संबंध में पक्षों के अधिकारों को नियंत्रित करेगी।"
केस टाइटल- महंत गणेश दास जी बनाम जम्मू-कश्मीर राज्य और अन्य (राजस्व विभाग)