जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट ने सरकार को एशियाई कैनो स्प्रिंट ओलंपिक क्वालीफायर में कैनोइस्ट बिलकिस मीर की भागीदारी के लिए NOC जारी करने का निर्देश दिया
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाइकोर्ट ने सरकार को प्रसिद्ध कैनोइस्ट बिलकिस मीर को अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) देने का निर्देश दिया।
जस्टिस सिंधु शर्मा ने बिलकिस मीर की याचिका के जवाब में यह निर्देश पारित किए, जिसमें उन्होंने जापान की यात्रा करने और एशियाई कैनो स्प्रिंट ओलंपिक क्वालीफायर में मुख्य लाइन जज के रूप में भाग लेने की अनुमति मांगी।
कैनोइंग और कयाकिंग के खेल में अंतरराष्ट्रीय एथलीट और कोच मीर को एशियाई कैनो परिसंघ द्वारा प्रतिष्ठित भूमिका के लिए चुना गया। हालांकि, अधिकारियों से NOC की अनुपलब्धता के कारण उनकी भागीदारी में बाधा आई।
उन्होंने कहा कि प्रतिवादियों ने बार-बार अनुरोध के बावजूद उन्हें जापान में ओलंपिक में जज के रूप में भाग लेने के लिए विदेश यात्रा करने के लिए NOC जारी नहीं की। यदि उन्हें अवसर से वंचित किया जाता है तो यह भविष्य के लिए बाधा बन सकता है, क्योंकि इससे भविष्य में चयन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच पर विश्वसनीयता खो सकती है।
राहत का विरोध करते हुए प्रतिवादी यूटी ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता शारीरिक शिक्षा शिक्षक के रूप में अपनी नियुक्ति के संबंध में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 5 (1) (डी) के तहत एफआईआर नंबर 23/2023 में जांच का सामना कर रही है। इसके लिए विदेश यात्रा के लिए उनके मामले को संसाधित करने से पहले ACB द्वारा अनिवार्य सतर्कता मंजूरी की आवश्यकता है।
इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि ऑनलाइन पोर्टल पर उनके द्वारा प्रस्तुत फॉर्म स्वीकार नहीं किया गया, क्योंकि उन्होंने अपनी संपत्ति का विवरण प्रस्तुत नहीं किया।
कैनोइंग और कयाकिंग के खेल को राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने और बढ़ावा देने में मीर की भूमिका के महत्व पर जोर देते हुए जस्टिस शर्मा ने अवसरों के संभावित नुकसान और भारत में एथलीटों के लिए भविष्य की नियुक्तियों पर पड़ने वाले निवारक प्रभाव पर प्रकाश डाला, यदि बिलकिस मीर की भागीदारी से इनकार किया गया।
पीठ ने टिप्पणी की,
"भविष्य के अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में याचिकाकर्ता की भागीदारी प्रभावित होगी और भारत में एथलीटों को प्रदान की जाने वाली ऐसी स्थिति के संबंध में भी इसका निवारक प्रभाव हो सकता है।"
चल रही जांच के बारे में प्रतिवादियों द्वारा उठाई गई चिंताओं को संबोधित करते हुए अदालत ने कहा कि बिलकिस मीर द्वारा गिरफ्तारी से बचने या जांच प्रक्रिया में बाधा डालने का कोई सबूत नहीं है। इसके अलावा अदालत ने अनुमति नहीं दिए जाने की स्थिति में समय पर संचार की आवश्यकता पर जोर दिया।
पीठ ने रेखांकित किया,
"यदि किसी कारण या किसी कमी के कारण अनुमति देना समीचीन नहीं है तो याचिकाकर्ता को उचित समय के भीतर इसकी जानकारी दी जानी चाहिए। इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया।”
14 अप्रैल से 21 अप्रैल 2024 तक होने वाले आगामी कार्यक्रम के मद्देनजर न्यायालय ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और आदेश दिया,
“इस बीच आपत्तियों के अधीन और खंडपीठ के समक्ष सुनवाई की अगली तारीख तक प्रतिवादी याचिकाकर्ता को जापान में होने वाले कार्यक्रम के लिए विदेश यात्रा करने के लिए एनओसी/अनुमति प्रदान करेंगे।”
केस टाइटल- बिलकिस मीर बनाम जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश