कर्मचारी सिर्फ़ इसलिए ऊंचे पद की सैलरी का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि वह ऐसे काम करने के काबिल है: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि कोई कर्मचारी सिर्फ़ इसलिए ऊंचे पद की सैलरी का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि वह उस पद से जुड़े काम करने के काबिल या सक्षम है।
कोर्ट ने साफ़ किया कि सैलरी पद से जुड़ी होती है, कर्मचारी की क्वालिफ़िकेशन से नहीं।
कोर्ट एक पिटीशन पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें "स्किल्ड" कैटेगरी के तहत सैलरी के दावे को खारिज करने को चुनौती दी गई, जबकि याचिकाकर्ता ने कहा कि वह कंप्यूटर ऑपरेटर का काम कर रहा था।
जस्टिस संजय धर की बेंच ने यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता ने कंप्यूटर-लिटरेट होने के बावजूद सिर्फ़ ऑर्डरली के पद के लिए अप्लाई किया। साथ ही कहा कि, “एक बार जब याचिकाकर्ता ऑर्डरली के पद के लिए चुन लिया जाता है तो वह कंप्यूटर ऑपरेटर या 'स्किल्ड' कैटेगरी में आने वाले किसी दूसरे पद के लिए तय सैलरी का दावा नहीं कर सकता।”
कोर्ट ने आगे साफ़ किया,
“एक कर्मचारी या वर्कर किसी पोस्ट/पोजीशन से जुड़ी सैलरी पाने का हकदार है। वह सिर्फ़ इसलिए किसी ऊंचे पोस्ट/पोजीशन से जुड़ी सैलरी का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि वह उस पोस्ट/पोजीशन के काबिल है।”
याचिकाकर्ता को CAMPA स्कीम के तहत फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा शुरू किए गए सिलेक्शन प्रोसेस में हिस्सा लेने के बाद ज़रूरत के आधार पर ऑर्डरली के तौर पर अपॉइंट किया गया था। उसके बाद उसके डेप्युटेशन में कंप्यूटर से जुड़े कामों में मदद करना शामिल था।
उसकी पिछली रिट याचिका के बाद डिपार्टमेंट को उसके क्लेम पर विचार करने का निर्देश मिला। उस निर्देश के अनुसार, डिपार्टमेंट ने उसकी रिक्वेस्ट यह कहते हुए खारिज कर दी कि उसे सिर्फ़ एक ऑर्डरली के तौर पर रखा गया था।
इस याचिका में उसने यह तर्क देते हुए रिजेक्शन ऑर्डर रद्द करने और उसे एक स्किल्ड वर्कर या मिनिस्टीरियल-कैटेगरी के कर्मचारी के तौर पर मानने का निर्देश देने की मांग की कि चूंकि वह कई सालों से कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर काम कर रहा है, इसलिए वह “स्किल्ड वर्कर” के तहत वेतन पाने का हकदार है।
हालांकि, रेस्पोंडेंट्स ने तर्क दिया कि कैटेगरी का आधार अप्लाई की गई पोस्ट है, न कि टेम्पररी तौर पर दी गई ड्यूटीज़ पर, और याचिकाकर्ता ने जानबूझकर सिर्फ़ ऑर्डरली की पोस्ट के लिए अप्लाई किया था।
कोर्ट ने एंगेजमेंट ऑर्डर की जांच की और पाया कि हालांकि याचिकाकर्ता कंप्यूटर-लिटरेट था, उसने ऑर्डरली की पोस्ट के लिए अप्लाई किया और उसे खासतौर पर उसी पोस्ट पर अपॉइंट किया गया। विभाग ने उसी एंगेजमेंट प्रोसेस में कंप्यूटर ऑपरेटर की पोस्ट के लिए भी कैंडिडेट्स को चुना, लेकिन याचिकाकर्ता उनमें से एक नहीं था।
कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता सिर्फ़ इसलिए किसी दूसरी कैटेगरी से जुड़ी सैलरी नहीं मांग सकता, क्योंकि उसके पास रिलेवेंट स्किल्स थीं या उसने रिलेवेंट काम किए। क्वालिफिकेशन्स का होना, या यह बात कि कर्मचारी हायर-लेवल ड्यूटीज़ में डिपार्टमेंट की मदद करता है, उसके अपॉइंटमेंट के नेचर को नहीं बदलता है।
बेंच ने कहा कि क्योंकि याचिकाकर्ता को एक ऑर्डरली के तौर पर अपॉइंट किया गया और वह उसी पद पर बना रहा, इसलिए उसकी सैलरी पूरी तरह से “अनस्किल्ड वर्कर” कैटेगरी के हिसाब से कैलकुलेट की जानी चाहिए। कोर्ट ने इस बात को खारिज कर दिया कि टेम्पररी या कंप्यूटर से जुड़े काम पिटीशनर की कैटेगरी को बदल सकते हैं या उसे ऊंचे पद की सैलरी का हकदार बना सकते हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के परमानेंट एस्टैब्लिशमेंट में नहीं था, जिससे जम्मू-कश्मीर सबऑर्डिनेट सर्विस रूल्स उस पर लागू नहीं होते।
इसलिए विभाग के रिजेक्शन ऑर्डर में कोई गैर-कानूनी या कमी न पाते हुए कोर्ट ने रिट पिटीशन खारिज कर दी। सभी अंतरिम निर्देश रद्द कर दिए गए।
Case Title: Umer Mukhtar Mir v. UT of J&K & Another