मामूली अपराधों के लिए केवल FIR लंबित होना अनुकंपा नियुक्ति से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि FIR का लंबित होना विशेष रूप से छोटे अपराधों के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा पहले से स्वीकृत अनुकंपा नियुक्ति को रोकने का वैध कारण नहीं हो सकता।
जस्टिस संदीप शर्मा ने कहा,
"जब तक आरोपी के खिलाफ आरोप तय नहीं हो जाते और उसे सक्षम न्यायालय द्वारा दोषी नहीं ठहराया जाता तब तक उसे निर्दोष माना जाता है। यदि ऐसा है तो केवल FIR लंबित होने के आधार पर नियुक्ति से इनकार करना, वह भी छोटे अपराधों के लिए टिकने योग्य नहीं हो सकता।"
याचिकाकर्ता के पिता प्रारंभिक शिक्षा विभाग में जूनियर बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। 21.10.2009 को सेवाकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। वे अपने पीछे परिवार के आठ सदस्य छोड़ गए। 2010 में याचिकाकर्ता ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। 2021 में सरकार ने उनके नाम को मंजूरी दे दी। याचिकाकर्ता का कहना है कि आज तक उसे नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया।
जांच करने पर पता चला कि अधिकारियों ने इस आधार पर नियुक्ति रोक दी थी कि उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 और 325 के तहत क्रमशः चोट पहुँचाने और गंभीर चोट पहुँचाने से संबंधित FIR लंबित है।
न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा याचिकाकर्ता का अपराध अभी तक सिद्ध नहीं किया गया और तब तक वह निर्दोष है। इसके अलावा, न्यायालय ने टिप्पणी की कि FIR में लगाए गए आरोप इतने गंभीर नहीं थे और व्यक्तिगत विवाद से उत्पन्न हुए थे।
इसलिए न्यायालय ने राज्य को याचिकाकर्ता को नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: योग राज बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य।