आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की पात्रता निर्धारित करने के लिए व्यक्तिगत वार्षिक आय नहीं, बल्कि परिवार की वार्षिक आय पर विचार किया जाना चाहिए: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस रंजन शर्मा की पीठ ने उषा रानी बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य के मामले में सिविल रिट याचिका पर निर्णय लेते हुए माना कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के रूप में नियुक्ति के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए महिला उम्मीदवार की पारिवारिक वार्षिक आय 8000 रुपये प्रति वर्ष से कम होनी चाहिए, न कि महिला उम्मीदवार की व्यक्तिगत वार्षिक आय पर।
मामले की पृष्ठभूमि
उषा रानी (याचिकाकर्ता) आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश राज्य (प्रतिवादी) द्वारा दिनांक 11.4.2007 को अधिसूचना जारी की गई, जिसमें ICDS कार्यक्रम के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं/सहायिकाओं की नियुक्ति के लिए दिशा-निर्देश शामिल है। उक्त अधिसूचना के खंड 4(एफ) के अनुसार वार्षिक आय 8000 रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
याचिकाकर्ता की सेवाओं को 2023 में आदेश (आक्षेपित आदेश) पारित करके समाप्त कर दिया गया था। इस आधार पर कि याचिकाकर्ता और उसके पति का वेतन 9400 रुपये था, जो उसकी नियुक्ति के समय पात्रता आवश्यकता से अधिक था।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि खंड 4(एफ) केवल महिला उम्मीदवार की आय को ध्यान में रखता है, न कि महिला उम्मीदवार और उसके परिवार की सामूहिक आय को। इस प्रकार याचिकाकर्ता ने आक्षेपित आदेश को चुनौती देते हुए उपरोक्त सिविल रिट याचिका दायर की।
न्यायालय के निष्कर्ष
न्यायालय ने पाया कि अधिसूचना के खंड 4(एफ) और 4(ई) को एक साथ पढ़ा जाना चाहिए। खंड 4(ई) में पात्रता मानदंड प्रदान किया गया। इसमें कहा गया कि महिला सदस्य “ऐसे परिवार से संबंधित होनी चाहिए, जो 1 जनवरी, 2004 से पहले पंचायती राज अधिनियम और नियमों में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार कानूनी रूप से एक अलग परिवार के रूप में अलग हो गया।”
न्यायालय ने कहा कि धारा 4(ई) और 4(एफ) के सामंजस्यपूर्ण पठन से पता चलता है कि आय की गणना उन सभी पारिवारिक सदस्यों को शामिल करके की जानी चाहिए, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम नियमों के तहत 1.1.2004 से पहले अलग परिवार का दर्जा प्राप्त किया। इस प्रकार केवल वे महिला उम्मीदवार पात्र हैं, जो अलग परिवार से संबंधित हैं, जिनकी वार्षिक आय 8000 रुपये प्रति वर्ष से कम है।
न्यायालय ने आगे कहा कि धारा 4(एफ) या 4(ई) की उपर्युक्त के अलावा कोई भी व्याख्या उस महिला को लाभ प्रदान करने के बराबर होगी, जो बेरोजगार हो सकती है, लेकिन उसके पति/परिवार के सदस्य पर्याप्त रूप से संपन्न हैं, जिनकी आय 8000 रुपये से अधिक है। इसके अलावा, आंगनवाड़ी योजना का उद्देश्य गांवों के हाशिए पर रहने वाले वर्ग की महिला उम्मीदवारों को रोजगार का अवसर प्रदान करना है।
उपर्युक्त टिप्पणियों के साथ सिविल रिट याचिका खारिज कर दी गई और याचिकाकर्ता की सेवाओं की समाप्ति का आदेश बरकरार रखा गया।
केस टाइटल- उषा रानी बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य