मानव दांत घातक हथियार नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने IPC की धारा 324 के तहत दोषसिद्धि रद्द की

Update: 2025-09-10 06:38 GMT

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अहम फैसले में स्पष्ट किया कि मानव दाँतों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 324 के तहत घातक हथियार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। जस्टिस राकेश कैंथला ने कहा कि दांतों से लगी चोटें इस प्रावधान के अंतर्गत नहीं आतीं। इसलिए ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोपी को इस धारा के तहत दोषी ठहराना और सजा देना त्रुटिपूर्ण था।

मामला 5 मार्च, 2007 की रात का है, जब पीड़िता अपने चार वर्षीय बच्चे के साथ सो रही थी। लगभग 11:30 बजे उसने शोर सुना और पाया कि आरोपी उसके कमरे में मौजूद था।

पीड़िता ने बताया कि आरोपी ने गला दबाने की कोशिश की उसके साथ अश्लील हरकतें कीं और गाल पर काट लिया।

ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को IPC की धाराओं 451 (गृह-भेदन), 354 (महिला की मर्यादा भंग), 323 (चोट पहुँचाना) और 324 (घातक हथियार से चोट पहुँचाना) के तहत दोषी ठहराया था। सेशन कोर्ट ने भी इस निर्णय को बरकरार रखा यह कहते हुए कि पीड़िता की गवाही चिकित्सकीय सबूतों से समर्थित है।

आरोपी ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की। कोर्ट ने पाया कि पीड़िता ने घटना की जानकारी उसी रात 1:45 बजे पुलिस को दी थी, जिससे उसकी गवाही की विश्वसनीयता पर कोई संदेह नहीं बनता। न्यायालय ने माना कि ट्रायल कोर्ट ने IPC की धारा 324 के अंतर्गत दोषसिद्धि करने में गलती की, क्योंकि दांतों को खतरनाक हथियार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

फिर भी कोर्ट ने यह माना कि आरोपी का अपराध गंभीर है क्योंकि उसने आधी रात को घर में घुसकर महिला का शारीरिक शोषण करने की कोशिश की।

न्यायालय ने कहा,

“घर किसी व्यक्ति का किला होता है और आधी रात में उसमें घुसपैठ करना गंभीर अपराध है।”

इसी आधार पर हाईकोर्ट ने IPC की धारा 324 के अंतर्गत दोषसिद्धि रद्द कर दी लेकिन आरोपी की सज़ा को IPC की धाराओं 451, 354 और 323 के अंतर्गत बरकरार रखा।

केस टाइटल: खेलो राम बनाम राज्य हिमाचल प्रदेश

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