सीवरेज कनेक्शन प्रदान करना नगर परिषद का वैधानिक कर्तव्य, संपत्ति स्वामियों की सहमति आवश्यक नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2025-08-05 10:03 GMT

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1994 की धारा 141 के तहत सीवरेज कनेक्शन प्रदान करना नगर परिषद का कर्तव्य है। वह केवल निजी भूस्वामियों की आपत्तियों के कारण इस सेवा को रोक नहीं सकती।

नगर परिषद का तर्क खारिज करते हुए जस्टिस अजय मोहन गोयल ने कहा,

"ऐसी कोई वैधानिक आवश्यकता नहीं है कि परिषद उस व्यक्ति से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करे, जिसकी संपत्ति से सीवरेज लाइन गुजरनी है। यदि अधिनियम की धारा 141 की इस प्रकार व्याख्या की जाती है तो नगरपालिका प्राधिकरण अधिकांश निवासियों को सीवरेज कनेक्शन प्रदान नहीं कर पाएंगे और यह धारा निरर्थक हो जाएगी।"

बता दें, हिमाचल प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1994 की धारा 141 के अनुसार,

"नगरपालिका किसी भी समय किसी भी परिसर में किसी भी जल-मुख्य पाइप, नाली या सीवर लाइन स्थापित कर सकती है या नोटिस द्वारा ऐसे किसी भी परिसर के स्वामी को ऐसा कोई कनेक्शन स्थापित करने के लिए कह सकती है।"

हिमाचल प्रदेश के सुंदर नगर के एक गांव के निवासी याचिकाकर्ताओं ने अपने निवास क्षेत्र में सीवरेज कनेक्शन प्रदान करने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

जवाब में नगर परिषद ने प्रस्तुत किया कि जिस क्षेत्र की संपत्ति से सीवर लाइन गुजरनी थी वहां के भूस्वामियों ने आपत्ति जताई थी।

न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंडी के सचिव को स्थल निरीक्षण करने का आदेश दिया। इसके बाद, सचिव ने तकनीकी रूप से व्यवहार्य दो संरेखण मार्गों का प्रस्ताव रखा।

न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए निर्देश दिया कि सीवरेज लाइन DLSA द्वारा प्रस्तावित पहले संरेखण मार्ग के अनुसार बिछाई जाए। आगे कहा कि पाइपलाइन बिछाने से निजी संपत्ति को न्यूनतम नुकसान सुनिश्चित होना चाहिए।

केस टाइटल: राजिंदर कुमार सेन एवं अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य।

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