स्वतंत्रता सेनानियों की बदौलत ही अधिकारी आज लाभ उठा रहे हैं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शहीद की विधवा को पेंशन न देने पर सरकार को फटकारा

Update: 2025-09-08 12:23 GMT

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी की विधवा को पेंशन देने से इनकार करने पर केंद्र और राज्य सरकार की अपीलों को खारिज कर दिया।

अदालत ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन योजना का उद्देश्य सेनानियों के त्याग और बलिदान को सम्मानित करना है, न कि तकनीकी कारणों से लाभ से वंचित करना।

चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और जस्टिस रंजन शर्मा की खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा,

“जिन कार्यालयों पर ये अधिकारी आज आसीन हैं और जिन सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं, वे केवल इसलिए संभव हैं, क्योंकि स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने बलिदान से देश की वर्तमान स्थिति बनाई है। अफसोस है कि नौकरशाही मानसिकता इतनी गहरी जड़ें जमा चुकी है कि उन्हें यह सच्चाई समझ में नहीं आती।”

मामला बिलासपुर के प्रजा मंडल आंदोलन से जुड़े तेग सिंह का है, जिन्हें 1946 में राज्य से निष्कासित कर दिया गया। 1980 में उन्होंने पेंशन के लिए आवेदन किया और पूर्व गृह मंत्री तथा पुलिस अधीक्षक से प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत किए लेकिन अधिकारियों ने तकनीकी आधार पर दावा खारिज कर दिया।

2008 में उनके निधन के बाद उनकी पत्नी महंती देवी ने पेंशन के लिए दावा किया। 2017 में एकल पीठ ने उनका पक्ष स्वीकार करते हुए राज्य और केंद्र दोनों योजनाओं के तहत पेंशन देने का निर्देश दिया। इसके खिलाफ केंद्र और राज्य सरकार ने अपील दायर की लेकिन हाईकोर्ट ने अपील खारिज करते हुए कहा कि ऐसे कल्याणकारी कानूनों की मंशा लाभ पहुंचाना है बाधा डालना नहीं।

केस टाइटल: Union of India बनाम महंती देवी एवं अन्य, State of H.P. बनाम महंती देवी एवं अन्य

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