वित्तीय आपातकाल? हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ठेकेदार का बकाया रोकने के लिए धन की कमी का हवाला देने पर राज्य सरकार के खिलाफ टिप्पणी करने पर कर रहा विचार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पारित एक महत्वपूर्ण आदेश में राज्य सरकार द्वारा सरकारी खजाने में धन की कमी का हवाला देते हुए ठेकेदार का बकाया रोकने के औचित्य को गंभीरता से लिया।
न्यायालय ने राज्य के डिप्टी-एडवोकेट जनरल से कहा कि वे निर्देश दें कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 360 (वित्तीय आपातकाल के प्रावधान) के प्रावधानों के आलोक में अगली सुनवाई पर न्यायालय द्वारा उचित टिप्पणी क्यों न की जाए।
जस्टिस अजय मोहन गोयल की पीठ रिट याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता (एक ठेकेदार) ने हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग (HPPWD) के तहत किए गए कार्य के लिए 15 लाख से अधिक की अंतिम राशि के भुगतान (2022 से अर्जित ब्याज सहित) को जारी करने का अनुरोध किया था।
सुनवाई के दौरान डिप्टी एडवोकेट जनरल ने संबंधित कार्यकारी अभियंता से प्राप्त एक पत्र का हवाला दिया, जिसमें यह स्वीकार किया गया कि यद्यपि याचिकाकर्ता द्वारा दावा किया गया भुगतान देय था लेकिन राज्य के खजाने में धन की कमी के कारण इसे वितरित नहीं किया जा सका।
प्राप्त निर्देश इस प्रकार हैं-
"विनम्रतापूर्वक निवेदन किया जाता है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, याचिकाकर्ता को लेखा शीर्ष 3054-मरम्मत/रखरखाव के अंतर्गत 15.16 लाख रुपये की राशि का कार्य प्रदान किया गया। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, शीर्ष 3054-मरम्मत/रखरखाव के अंतर्गत 357.96 लाख रुपये के बजट प्रावधान के अंतर्गत विभिन्न ठेकेदारों को 2376.00 लाख रुपये की राशि का ठेका प्रदान किया गया। याचिकाकर्ता ने उपर्युक्त लेखा शीर्ष के अंतर्गत एक कार्य किया। हिमाचल प्रदेश राजकोष में धन की कमी के कारण याचिकाकर्ता को 15.16 लाख रुपये का भुगतान आज तक नहीं किया जा सका है।"
राज्य द्वारा स्वयं दायित्व स्वीकार करने और धन की कमी के आधार पर भुगतान न करने के औचित्य को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने टिप्पणी की:
"दिए गए निर्देशों से यह स्पष्ट और प्रत्यक्ष है कि एक ओर तो राज्य ने भुगतान के तथ्य को स्वीकार किया, जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा दावा किया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर भुगतान न करने का कारण राज्य के खजाने में धन की कमी बताया जा रहा है।"
न्यायालय ने डिप्टी एडवोकेट जनरल से अगली सुनवाई की तारीख (1 अगस्त) पर विशिष्ट निर्देश प्राप्त करने को कहा कि न्यायालय को संविधान के अनुच्छेद 360 जो वित्तीय आपात स्थितियों से संबंधित एक प्रावधान है, के तहत उचित टिप्पणियां क्यों न दर्ज करनी चाहिए।
बता दें कि अनुच्छेद 360 भारत के राष्ट्रपति को वित्तीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार देता है यदि वह संतुष्ट हैं कि भारत या उसके क्षेत्र के किसी भी हिस्से की वित्तीय स्थिरता या साख खतरे में है।