'आपको हमेशा अदालत के हस्तक्षेप की जरूरत क्यों पड़ती है?': गुजरात हाईकोर्ट ने रेल पटरियों पर शेरों की मौत के बाद निष्क्रियता के लिए वन विभाग, रेलवे को फटकार लगाई
गुजरात हाईकोर्ट ने अमरेली जिले में रेलवे पटरियों पर दो शेरों की एक्सीडेंट के कारण हुई मौत के समाधान में रेलवे और राज्य वन विभाग दोनों की ओर से की गई देरी पर चिंता जताई है।
चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध पी मायी की खंडपीठ ने कहा, “हमारी सुविचारित राय में, जब जनवरी 2024 के महीने में ये दुर्घटनाएं हुईं तो वन और रेलवे अधिकारियों के लिए कार्रवाई का उचित तरीक, संयुक्त रूप से या अलग-अलग (दुर्घटनाओं की) जांच करना था, ताकि रेलवे ट्रैक पर मौत के कारण का पता लगाया जा सके और सुधारात्मक उपाय किए जा सके, ऐसा 26.03.2024 को दिए गए आदेश में हमारी ओर से किए गए हस्तक्षेप के बिना (दोनों विभागों की ओर से) खुद किया जाना चाहिए था।”
यह घटनाक्रम पशु अधिकार कार्यकर्ता बीरेन पंड्या द्वारा 2016 में दायर एक जनहित याचिका पर आया है, जिसमें 2016 में एक गर्भवती शेरनी की बिजली के झटके से मौत की सीआईडी जांच की मांग की गई थी।
हाईकोर्ट ने इससे पहले उपरोक्त मुद्दे के समाधान के लिए 10 सदस्यीय समिति की स्थापना की थी। हालांकि, जब रेलवे पटरियों पर शेरों की मौत की घटनाएं सामने आईं, तो न्यायालय ने "इस याचिका की खोज की" और वन और रेलवे अधिकारियों को उनकी चुप्पी के लिए जवाबदेह मानने की ईच्छा व्यक्त की।
कोर्ट ने पूछा था, "आपने दुर्घटना का कारण जानने के लिए क्या किया है? कम से कम आपको पहले कारण का पता लगाना चाहिए और फिर उपचारात्मक कार्यवाही करना चाहिए। न तो वन विभाग और न ही रेलवे ने एक साथ बैठकर इस पहलू पर विचार किया है। हम ट्रैकर या वॉच टावर स्थापित करने के लिए आपकी प्रशंसा नहीं करेंगे।"
मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने इससे पहले 26.03.2024 को उचित कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किये थे।
हाईकोर्ट ने रेलवे प्राधिकरण और वन विभाग को एशियाई शेरों के ट्रेनों से टकराने की घटनाओं को कम करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया विकसित करने का निर्देश दिया था, और इस बात पर जोर दिया था कि वह रेलवे की लापरवाही के कारण इन इन जंतुओं की लगातार हत्या को बर्दाश्त नहीं करेगा।
चीफ जस्टिस अग्रवाल ने सुनवाई के दरमियान कहा था कि कि रेलवे की लापरवाही के कारण गुजरात में ट्रेनों की चपेट में आने से कई शेरों की मौत हो गई है और ऐसी घटनाओं को पूरी तरह खत्म करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
मामला अब आगे की सुनवाई के लिए 23 अप्रैल, 2024 को सूचीबद्ध किया गया है।
केस टाइटल: सुओ मोटो बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य।