यूएपीए | पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्कूल की दीवार पर अलगाववादी नारे लिखने वाले व्यक्ति को जमानत दी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आरोपित एक व्यक्ति को जमानत दी। उस व्यक्ति पर एक स्कूल की दीवार पर अलगाववादी नारे लिखने का आरोप था।
जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस कीर्ति सिंह की खंडपीठ ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा, "मौजूदा मामले में, उससे अभी तक कोई भी रिकवरी नहीं की गई है। अदालत के समक्ष ऐसी कोई सामग्री पेश नहीं की गई, जिससे यह संकेत मिले कि कोई भी मौद्रिक लेनदेन हुआ था और अपीलकर्ता ने घटना को रिकॉर्ड करने और इसे अन्य आरोपियों को भेजने के लिए किसी विशेष मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था।"
कोर्ट ने आगे कहा कि यूएपीए के कड़े प्रावधानों के बावजूद अपीलकर्ता के खिलाफ सामग्री इतनी कम है कि उसे आगे कैद में रखने को उचित नहीं ठहराया जा सकता।
करनाल स्थित डीएवी स्कूल की दीवार पर कथित तौर पर आपत्तिजनक नारे लिखने आरोप में रेशम को 2022 में यूएपीए की धारा 10 (गैरकानूनी संगठन का सदस्य होने के लिए जुर्माना, आदि), 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) और 18 (साजिश के लिए सजा, आदि), सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा 3 के, और आईपीसी की धारा 120-बी, 153-ए के तहत गिरफ्तार किया गया था।
अदालत एएसजे कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। रेशम को मंजीत सिंह नामक व्यक्ति के बयान पर आरोपी के रूप में पेश किया गया था। मंजीत सिंह धारा 153-ए, 153-बी, 120-बी, 427 आईपीसी और यूएपीए की धारा 13 और 18 के तहत एक अन्य मामले में आरोपी था।
दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने कहा कि रेशम का नाम एफआईआर में नहीं था, हालांकि उसे एक अन्य मामले में सह-अभियुक्त के बयान पर आरोपी के रूप में आरोपित किया गया है। कोर्ट ने कहा, "कहा गया है कि पेंट, कपड़े और मोबाइल फोन की बरामदगी एफआईआर नंबर 118 (एक अन्य मामले) की जांच के सिलसिले में अपीलकर्ता से की गई है।"
जस्टिस ग्रेवाल ने कहा,
"मौजूदा मामले में, अभी तक उससे कोई रिकवरी नहीं की गई है। इस अदालत के समक्ष ऐसी कोई सामग्री नहीं लाई गई है, जिससे यह संकेत मिले कि कोई मौद्रिक लेनदेन हुआ था और अपीलकर्ता ने घटना की रिकॉर्डिंग और इसे अन्य आरोपियों तक भेजने के लिए एक विशेष मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था।"
अदालत ने कहा कि उस मामले में वह पहले से ही मुकदमे का सामना कर रहा है, जिसमें सह-अभियुक्त ने उसका नाम लिया है।
कोर्ट ने कहा,
"यूएपीए के कड़े प्रावधानों के बावजूद अपीलकर्ता के खिलाफ सामग्री इतनी कम है कि उसे आगे कैद में रखने को उचित नहीं ठहराया जा सकता। अपीलकर्ता एक साल और नौ महीने से हिरासत में है। चालान दायर किया जा चुका है लेकिन आरोप अभी तक तय नहीं किए गए हैं। अभियोजन पक्ष ने कहा है 14 गवाहों का हवाला दिया गया है और इसलिए, मुकदमे के निष्कर्ष में कुछ समय लगेगा।"
नतीजतन, अदालत ने एएसजे के आक्षेपित आदेश को रद्द कर दिया और अपीलकर्ता को जमानत की रियायत दी।
केस टाइटलः रेशम बनाम हरियाणा राज्य
साइटेशनः 2024 लाइव लॉ (पीएच)