'योग्यता के बिना मेडिकल प्रैक्टिस करना और ग्रामीण लोगों की आंखों में धूल झोंकना': कर्नाटक हाईकोर्ट ने पैरामेडिकल कोर्स की पढ़ाई करने वाले 'डॉक्टर' के रजिस्ट्रेशन से इनकार किया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने वस याचिका खारिज कर दी, जिसमें राज्य के अधिकारियों द्वारा उस व्यक्ति को कर्नाटक प्राइवेट मेडिकल स्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करने से इनकार कर दिया गया, जिसने पैरा-मेडिकल की पढ़ाई की और अपने क्लिनिक में कई वर्षों से डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस कर रहा है।
जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा,
“यह काफी अजीब है कि याचिकाकर्ता इतने वर्षों तक खुद को प्रैक्टिसिंग डॉक्टर के रूप में कैसे संबोधित करता है। अब समय आ गया है कि ऐसे लोगों पर से पर्दा हटाया जाए, जो बिना योग्यता के डॉक्टरी की प्रैक्टिस कर रहे हैं और ग्रामीण इलाकों में गरीब लोगों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।”
पीठ ने डॉ. अन्नैया एन द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिन्होंने एक्ट के तहत जिला स्वास्थ्य और परिवार अधिकारी और रजिस्ट्रेशन कमेटी के सदस्य सचिव द्वारा जारी 25-09-2023 के समर्थन को रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
यह प्रस्तुत किया गया कि मेडिकल व्यवसायी, जो कर्नाटक प्राइवेट मेडिकल स्टैबलिशमेंट एक्ट, 2007 के तहत प्राइवेट प्रैक्टिस स्थापित करना चाहता है, उसे एक्ट के तहत आवेदन करना होगा और एक बार रजिस्ट्रेशन को मंजूरी मिलने के बाद वह प्रैक्टिस करने का हकदार होगा। तदनुसार, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसने एक्ट के तहत अपने क्लिनिक के रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया।
याचिकाकर्ता द्वारा यह दावा किया गया कि योग्य होने के कारण वह मेडिकल प्रैक्टिस करने का हकदार है, क्योंकि एक्ट डॉक्टर के बीच अंतर नहीं करता है, बल्कि केवल मेडिकल को परिभाषित करता है, न कि मेडिकल के किसी भी रूप को।
सरकार ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि याचिकाकर्ता जैसे डॉक्टर बिना किसी योग्यता के एलोपैथी प्रैक्टिस कर रहे हैं।
रिकॉर्ड देखने पर पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता के पास इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिको टेक्निकल्स एंड हेल्थ केयर द्वारा प्रदान किया गया आवश्यक दवाओं के साथ सामुदायिक मेडिकल सेवाओं में डिप्लोमा है, जो पैरा-मेडिकल कोर्स है।
इसमें कहा गया,
''यदि याचिकाकर्ता द्वारा किए गए कोर्स की प्रकृति को यहां ऊपर उल्लिखित प्रावधानों के आधार पर माना जाता है तो यह स्पष्ट रूप से स्पष्ट हो जाएगा कि याचिकाकर्ता के पास मौजूद योग्यता उसे 'प्राइवेट मेडिकल प्रैक्टिशनर' नहीं बनाती है, जैसा कि अधिनियम की धारा 2(के) में पाया गया। मगर याचिकाकर्ता ने पैरामेडिकल की पढ़ाई की है, जो एक्ट की धारा 2(के) में नहीं पाई जाती।”
पीठ ने कहा कि एक्ट की धारा 2(के) संपूर्ण है और याचिकाकर्ता कोई डॉक्टर नहीं है।
वह पैरामेडिकल प्रैक्टिशनर हैं। पैरामेडिकल प्रैक्टिशनर होने के नाते वह एक्ट के तहत किसी भी रजिस्ट्रेशन का हकदार नहीं है, जो मेडिकल प्रैक्टिशनर के रूप में प्रैक्टिस जारी रखने के लिए अनिवार्य शर्त है। वह एक्ट के तहत परिभाषित डॉक्टर नहीं है। वह एक्ट के तहत परिभाषित उन डॉक्टर्स में से एक भी नहीं है। ऐसा होने के बिना वह दावा करता है कि उसने कोलार में सदियों से प्रैक्टिस की है। याचिका में कहा गया कि उनकी प्रैक्टिस भी एलोपैथी की है और वह खुद को डॉक्टर बताते हैं।
तदनुसार, याचिका खारिज कर दी गई।
अपीयरेंस: याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रकाशा एम और उत्तरदाताओं के लिए एजीए नव्या शेखर।
केस टाइटल: डॉ. अन्नैया एन बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य।
केस नंबर/रिट याचिका नंबर: 23267/2023.
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