दिल्ली हाईकोर्ट का आपराधिक मानहानि मामले में BJP नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में BJP नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार किया।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने पिछले साल 29 नवंबर को दिए गए ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें एसीएमएम अदालत द्वारा सिरसा को जारी किए गए समन को बरकरार रखा गया था।
अदालत ने कहा,
“इस प्रकार, आक्षेपित आदेश की प्रथम दृष्टया जांच करने पर और मामले के गुण-दोष पर ज्यादा ध्यान दिए बिना ऐसा न हो कि यह याचिकाकर्ता या प्रतिवादी नंबर 2 के मामले को प्रभावित करता है। इस न्यायालय या ट्रायल कोर्ट के समक्ष बाद के चरण में इस न्यायालय ने पाया कि एएसजे ने दिनांक 04.04.2016 के पत्र के संबंध में एफआईआर दर्ज करने के मुद्दे और अपराध के कमीशन के लिए वर्तमान शिकायत मामले में एक साथ कार्यवाही की विस्तार से जांच की है। इस स्तर पर इस अदालत को वर्तमान शिकायत मामले में कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई कारण नहीं मिलता।”
सिंह का मामला यह है कि सिरसा और अन्य आरोपी व्यक्ति सोशल मीडिया पोस्ट, वीडियो और प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उन्हें नियमित रूप से बदनाम कर रहे थे, जो इंटरनेट पर उपलब्ध हैं और हटाए नहीं गए हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें "गोलक चोर और कलंकित प्रधान" कहा था।
आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करने वाली सिरसा की याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया, मामले में मानहानि का अपराध 2020 में किया गया एक बार का अपराध नहीं है। इस प्रकार, ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियों में कोई खामी नहीं है।
हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि टिप्पणियां केवल प्रथम दृष्टया प्रकृति की हैं और उन्हें मामले की योग्यता पर राय के रूप में नहीं माना जाएगा।
याचिकाकर्ता के वकील: एन. हरिहरन, जसप्रित सिंह राय, योगिंदर हांडू और अश्विन कटारिया।
उत्तरदाताओं के लिए वकील: मनोज पंत, राज्य के लिए एपीपी इंस्पेक्टर चेतन मांडिया, ईओडब्ल्यू; मोहित माथुर, नगिंदर बेनीपाल, सुमित मिश्रा और मयंक शर्मा, आर-2 के वकील
केस टाइटल: मनजिंदर सिंह सिरसा बनाम स्टेट एनसीटी ऑफ दिल्ली और अन्य।