दिल्ली हाईकोर्ट ने 'लापता' व्यक्ति की ओर से अपील दायर करने पर आपत्ति जताई, कहा- इस तरह की प्रैक्टिस के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसे व्यक्ति की ओर से अपील दायर करने पर आपत्ति जताई है जो ट्रायल कोर्ट द्वारा आदेश पारित होने से पहले ही लापता हो गया था, यह देखते हुए कि यदि इस तरह की प्रथा की अनुमति दी गई, तो विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा कि किसी वादी की ओर से अपील केवल तभी दायर की जा सकती है यदि वह चाहता है कि यह दायर की जाए और उस व्यक्ति द्वारा उसे इस संबंध में अधिकृत किया जाता है।
कोर्ट ने कहा,
"इस बहाने से कि निचली अदालत के समक्ष असफल पक्ष उपलब्ध नहीं है, या पता लगाने योग्य नहीं है, कोई भी तीसरा पक्ष लापता असफल पक्ष की ओर से, उसकी पीठ पीछे और उसकी जानकारी के बिना...अपील दायर कर सकता है...इससे असफल पक्ष के अधिकारों पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और किसी मामले में अपूरणीय क्षति भी हो सकती है।"
मदर डेयरी ने राकेश कुमार शर्मा नामक व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। ट्रायल कोर्ट ने 2018 में मदर डेयरी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित आदेश पारित किया था। इसके बाद 2019 में शर्मा की ओर से एक अपील दायर की गई, जो ट्रायल कोर्ट का आदेश पारित होने से पहले ही लापता हो गया था।
कोर्ट ने कहा, “राकेश कुमार शर्मा ने माना कि उन्हें कभी भी विवादित फैसले को देखने का अवसर नहीं मिला, इसके खिलाफ अपील करने का सचेत निर्णय लेना तो दूर की बात है। इसलिए, वह अपने नाम और अपनी ओर से दायर की गई इस अपील से पूरी तरह से अनजान है।”
यह अपील शर्मा की बहन ने दायर की थी, जो उनकी वकील भी थीं। उन्होंने कहा कि अगर फैसला सुनाए जाने के बाद शर्मा उपलब्ध होते तो वह अपील दायर करना चाहते। जस्टिस शंकर ने अपील को "पूरी तरह से अक्षम" बताते हुए खारिज कर दिया।
केस टाइटल: राकेश कुमार शर्मा बनाम मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजिटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड