वायु प्रदूषण: दिल्ली हाईकोर्ट ने असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य, सेंट्रल रिज में अतिक्रमण पर वन विभाग से जवाब मांगा

Update: 2024-01-13 08:36 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य और सेंट्रल रिज में अतिक्रमण की स्थिति और सीमा पर दिल्ली के वन विभाग से जवाब मांगा।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि यदि किसी अदालत द्वारा हटाने या ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने के लिए स्थगन आदेश पारित किया गया है तो उसे हलफनामे के साथ संलग्न किया जाना चाहिए।

अदालत ने निर्देश दिया,

“राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) वन संरक्षक विभाग, वन और वन्यजीव विभाग के माध्यम से संक्षिप्त हलफनामा दायर करेगी, जिसमें स्पष्ट रूप से अतिक्रमण की सीमा या इस तथ्य को बताया जाएगा कि असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में कोई अतिक्रमण नहीं है।“

पीठ दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर 2015 में शुरू की गई स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

अदालत ने एमिक्स क्यूरी सीनियर एडवोकेट कैलाश वासदेव को दो सप्ताह के भीतर पूरक नोट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

अब इस मामले की सुनवाई 05 मार्च को होगी।

पिछले साल समन्वय पीठ ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी अपना वन क्षेत्र तेजी से खो रही है।

एमिक्स क्यूरी ने दिल्ली की तस्वीरों का हवाला दिया, जिसमें विशेष रूप से असोला अभयारण्य, हवाई अड्डे और राष्ट्रपति के घर के आसपास के क्षेत्रों में वन क्षेत्र के नुकसान को उजागर किया गया।

उन्होंने सेंट्रल रिज समेत विभिन्न इलाकों में अनधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा भी अदालत के ध्यान में लाया।

केस टाइटल: कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन (दिल्ली में वायु प्रदूषण) बनाम भारत संघ और अन्य

ऑर्डर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें




Tags:    

Similar News