कथित भूमि अतिक्रमण के खिलाफ 10 साल की देरी से जारी नोटिस को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे यूसुफ पठान
पूर्व क्रिकेटर और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के लोकसभा सांसद यूसुफ पठान ने वडोदरा नगर निगम (वीएमसी) द्वारा 10 साल की देरी से जारी भूमि अतिक्रमण नोटिस के संबंध में गुजरात हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।
6 जून को दिए गए नोटिस में पठान को 15 दिनों के भीतर तंदलजा में वीएमसी के स्वामित्व वाले भूखंड से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया।
पठान ने अदालत को बताया कि उन्होंने 2012 में भूमि के लिए आवेदन किया था और 2014 में निगम द्वारा अलग प्रस्ताव पेश किया गया।
उन्होंने हाल ही में TMC सांसद के रूप में अपने चुनाव के कारण उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कहा,
"मैं हाल ही में लोकसभा चुनावों में अलग पार्टी से निर्वाचित हुआ हूं। मुझे परेशान करने का प्रयास किया जा रहा है।"
उन्होंने 10 साल की निष्क्रियता के बाद अचानक नोटिस जारी किए जाने की ओर इशारा किया।
जवाब में हाईकोर्ट ने इस मामले में वडोदरा नगर निगम से स्पष्टीकरण मांगा।
पठान के वकील यतिन ओझा ने TMC सांसद के रूप में उनके चुनाव को नोटिस से जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि वीएमसी ने 10 साल तक कुछ नहीं किया और अचानक चुनाव नतीजों के दो दिन बाद ही नोटिस भेज दिया। जब ओझा ने सुझाव दिया कि पठान को नोटिस इसलिए दिया गया, क्योंकि "उनकी पार्टी अलग है," तो जस्टिस संगीता विसेन ने वकील से कहा कि वे मुद्दे से भटकें नहीं और मुख्य मुद्दे पर ही टिके रहें।
केस डिटेल के अनुसार, विचाराधीन प्लॉट वीएमसी के स्वामित्व वाला आवासीय प्लॉट है। 2012 में पठान ने वीएमसी से इस प्लॉट का अनुरोध किया था, क्योंकि उनका घर इसके बगल में था। उन्होंने इसे बाजार दर पर खरीदने की पेशकश की थी। हालांकि वीएमसी ने 2014 में पठान को जमीन बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, लेकिन राज्य सरकार, जिसके पास ऐसे मामलों में अंतिम अधिकार है, ने इसे मंजूरी नहीं दी। हालांकि, ओझा ने कहा कि तब से यह जमीन पठान के "कब्जे" में है।
जब अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के पास ऐसे मामलों को मंजूरी देने का अधिकार है तो ओझा ने तर्क दिया कि गुजरात प्रांतीय नगर निगम अधिनियम (जीपीएमसी अधिनियम) के अनुसार, यदि भूमि नगर निकाय की है और राज्य सरकार की नहीं, तो निगम - राज्य नहीं - अंतिम प्राधिकारी है।
ओझा ने यह भी उल्लेख किया कि वीएमसी ने यूसुफ पठान और उनके क्रिकेटर भाई इरफान पठान को उनके योगदान के लिए भूखंड देने का फैसला किया था, जब वे भारतीय टीम में थे। उन्होंने तर्क दिया कि वीएमसी को प्रस्ताव को मंजूरी देने के समय ही भूमि आवंटित कर देनी चाहिए थी।
ओझा ने अनुरोध किया कि तत्काल कार्रवाई को रोकने के लिए नोटिस को कारण बताओ नोटिस के रूप में माना जाए।
ओझा ने कहा,
"कानून के अनुसार, राज्य सरकार की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। वीएमसी ने नोटिस में स्वीकार किया है कि मैं इस भूमि पर कब्जा कर रहा हूं। मैं आग्रह करता हूं कि इस नोटिस को कारण बताओ नोटिस के रूप में माना जाए। अन्यथा बुलडोजर आ जाएगा।"