गुजरात हाईकोर्ट ने पासपोर्ट प्राधिकरण को दंगा मामले में दोषी Congress MLA की पासपोर्ट रिन्यूअल याचिका पर निर्णय लेने का निर्देश दिया
गुजरात हाईकोर्ट ने पासपोर्ट प्राधिकरण को कांग्रेस विधायक (Congress MLA) विमल चूड़ासमा की पासपोर्ट रिन्यूअल याचिका पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। विदेश मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार जिनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही अदालत में लंबित है, वह भारतीय नागरिक विदेश यात्रा कर सकते हैं, बशर्ते वे अदालती आदेश प्रस्तुत करें। पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6 के तहत पासपोर्ट प्राधिकरण पासपोर्ट/यात्रा दस्तावेज देने से मना कर सकता है।
धारा 6(2)(एफ) के अनुसार यदि आवेदक द्वारा कथित रूप से किए गए अपराध के संबंध में कार्यवाही भारत में आपराधिक अदालत में लंबित है तो पासपोर्ट प्राधिकरण पासपोर्ट जारी करने से मना कर सकता है। 1993 में जारी विदेश मंत्रालय की अधिसूचना ऐसे भारतीय नागरिकों पर धारा 6(2)(एफ) के आवेदन से छूट देती है, जिनके खिलाफ कथित रूप से किए गए अपराध के संबंध में कार्यवाही भारत में आपराधिक अदालत में लंबित है बशर्ते वे अदालती आदेश प्रस्तुत करें।
चूड़ासमा को आईपीसी की धारा 323, 148 और 147 के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी द्वारा 2023 में दोषी ठहराया गया था। उन्हें 6 महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई गई।
इसके खिलाफ उन्होंने सेशन कोर्ट के समक्ष सजा के निलंबन और दोषसिद्धि के लिए आवेदन के साथ अपील दायर की। सेशन कोर्ट ने सजा के निलंबन का आवेदन स्वीकार कर लिया लेकिन दोषसिद्धि के निलंबन का आवेदन खारिज कर दिया।
दोषसिद्धि के निलंबन का आवेदन अस्वीकार करने के खिलाफ चूड़ासमा ने पुनर्विचार याचिका में हाईकोर्ट का रुख किया, जिस पर सुनवाई लंबित है। इस मामले के लंबित रहने के मद्देनजर पासपोर्ट प्राधिकरण ने उनका पासपोर्ट रिन्यू करने से इनकार कर दिया।
एडिशनल एडवोकेट जनरल क्षितिज अमीन ने कहा कि चूडासमा का मामला विदेश मंत्रालय द्वारा जारी 25 अगस्त, 1993 की अधिसूचना/परिपत्र द्वारा शासित होगा। आवेदन पर तदनुसार निर्णय लिया जाएगा।
जस्टिस अनिरुद्ध पी. माई ने कहा,
"मामले के लंबित रहने के मद्देनजर, प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता को न्यायालय का आदेश प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इस संबंध में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी 25.8.1993 की अधिसूचना/परिपत्र पर ध्यान देना उचित है, जिसमें प्रावधान है कि आम जनता के हित में उन नागरिकों को छूट दी जाए, जिनके खिलाफ उनके द्वारा कथित रूप से किए गए अपराध के संबंध में कार्यवाही आपराधिक न्यायालय के समक्ष लंबित है।"
अगस्त 1993 की अधिसूचना के प्रासंगिक अंशों में यह शामिल है कि पासपोर्ट निम्नलिखित के लिए जारी किया जाएगा:
1. न्यायालय के आदेश में निर्दिष्ट अवधि के लिए या यदि पासपोर्ट जारी करने या विदेश यात्रा के लिए कोई अवधि ऐसे आदेश में निर्दिष्ट नहीं है तो पासपोर्ट एक वर्ष के लिए जारी किया जाएगा।
2. यदि ऐसा आदेश एक वर्ष से कम अवधि के लिए विदेश यात्रा की अनुमति देता है, लेकिन पासपोर्ट की वैधता अवधि निर्दिष्ट नहीं करता है तो पासपोर्ट एक वर्ष के लिए जारी किया जाएगा।
3. यदि ऐसा आदेश एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए विदेश यात्रा की अनुमति देता है और पासपोर्ट की वैधता निर्दिष्ट नहीं करता है तो पासपोर्ट आदेश में निर्दिष्ट विदेश यात्रा की अवधि के लिए जारी किया जाएगा।
4. उक्त नागरिक पासपोर्ट जारी करने वाले प्राधिकारी को लिखित रूप में वचन देगा कि यदि संबंधित न्यायालय द्वारा अपेक्षित किया जाता है तो वह इस प्रकार जारी किए गए पासपोर्ट के लागू रहने के दौरान किसी भी समय न्यायालय के समक्ष उपस्थित होगा।
इसके बाद न्यायालय ने कहा,
“उपर्युक्त के मद्देनजर, प्रतिवादी पासपोर्ट प्राधिकरण को 25.8.1993 की अधिसूचना/परिपत्र के अनुसार पांच वर्ष की वैधता अवधि के साथ पासपोर्ट जारी करने के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया जाता है। कहने की जरूरत नहीं है कि यह प्रक्रिया इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से चार सप्ताह की अवधि के भीतर पूरी कर ली जाएगी।”
उपर्युक्त निर्देश के साथ न्यायालय ने याचिका का निपटारा कर दिया।