गुजरात हाईकोर्ट ने बलात्कार मामले में आसाराम बापू द्वारा मांगी गई अस्थायी जमानत पर फैसला सुनाया

गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार (28 मार्च) को आसाराम बापू द्वारा दायर अस्थायी जमानत याचिका पर फैसला सुनाया, जिन्हें 2013 के बलात्कार मामले में सत्र न्यायालय द्वारा 2023 में दोषी ठहराया गया और वे आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष जनवरी में आसाराम बापू को मेडिकल आधार पर 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी थी।
मामले की सुनवाई हुई तो जस्टिस इलेश जे वोरा की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कहा,
"इस पहलू पर हमारे विचार अलग-अलग हैं। मैं तीन महीने की मोहलत देने के मूड में हूं। मेरे भाई (जस्टिस भट्ट) असहमत हैं, इसलिए 10-15 मिनट के भीतर हम आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे और इसे अपलोड करेंगे। तदनुसार इसे तीसरे जज के पास भेजने के लिए चीफ जस्टिस के समक्ष रखा जाएगा।”
पीठ में जस्टिस संदीप एन भट्ट भी शामिल थे, जिन्होंने पक्षों की सुनवाई के बाद मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान आसाराम बापू की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट शालीन मेहता ने न्यायालय को जनवरी में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अवगत कराया, जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके समक्ष प्रस्तुत याचिका पर गुण-दोष के आधार पर विचार नहीं किया, बल्कि मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत देने के लिए इसे उपयुक्त मामला पाया।
उन्होंने 8 नवंबर, 2023 से इस वर्ष 20 जनवरी के बीच अस्पताल में भर्ती होने वालों की सूची की ओर इशारा किया और आगे एम्स जोधपुर की एक रिपोर्ट की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसमें एक अवलोकन था, जिसमें कहा गया कि चूंकि रोगी को कोरोनरी धमनी की बीमारी है। इसलिए वह उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आता है। इसके बाद उन्होंने प्रस्तुत किया कि "डॉक्टरों की दृढ़ राय है कि आसाराम बापू को पंचकर्म मेडिकल की आवश्यकता है जो 90 दिनों का कोर्स है।
उन्होंने प्रस्तुत किया कि आसाराम बापू का कई बार मूल्यांकन किया गया और सभी विशेषज्ञों की सलाह और रिपोर्ट में कम से कम एक समान आधार था कि यह एक घातक स्थिति है। इस बीच राज्य के वकील हार्दिक दवे ने दलील दी कि ऐसा नहीं है कि राज्य दोषी के स्वास्थ्य के प्रति असंवेदनशील है।
आसाराम बापू की मेडिकल यात्राओं की ओर इशारा करते हुए वकील ने तर्क दिया कि उन्होंने कुछ डॉक्टरों से मुलाकात की थी लेकिन वे फिर से फॉलोअप के लिए नहीं गए। इससे पता चलता है कि अस्थायी जमानत देने की कोई आवश्यकता नहीं थी, जिसे उन्होंने साबित किया जाना चाहिए।
इस बीच शिकायतकर्ता-पीड़ित की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट बीबी नाइक ने दलील दी कि आसाराम बापू को अस्थायी जमानत देना जरूरी नहीं है।
उन्होंने आगे दस्तावेजों की ओर इशारा करते हुए कहा कि आसाराम बापू का ब्लड-प्रेशर सामान्य प्रतीत होता है।
31 जनवरी, 2023 को सेशन कोर्ट ने आसाराम बापू को अपने अहमदाबाद स्थित आश्रम में अपनी महिला शिष्या के साथ कई बार बलात्कार करने का दोषी पाया और उन्हें दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
उन्हें आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), धारा 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 506 (आपराधिक धमकी) और 357 (किसी व्यक्ति को गलत तरीके से बंधक बनाने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल) और 354 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल) के तहत दोषी ठहराया गया था।
बापू ने सजा के निलंबन की मांग करते हुए एक आवेदन के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन पिछले साल अगस्त में इसे खारिज कर दिया गया।
केस टाइटल: आशुमल @ आशाराम थाउमल सिंधी (हरपालानी) बनाम गुजरात राज्य और अन्य।