मानव बलि, बुराई और "अघोरी" प्रथाओं को खत्म करने के लिए कानून पारित किया गया: गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट को बताया
गुजरात सरकार ने शुक्रवार को हाईकोर्ट को बताया कि उन्होंने हाल ही में नागरिकों की सुरक्षा के लिए "मानव बलि और अन्य अमानवीय, दुष्ट और अघोरी प्रथाओं" को समाप्त करने के उद्देश्य से एक कानून पारित किया है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी के बाद "गैरकानूनी और अमानवीय प्रथाओं" के विरोध में दायर जनहित याचिका का निस्तारण किया। हाईकोर्ट ने साथ ही सरकार को नए कानून का उचित प्रचार करने के लिए कहा।
चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ ने 12 जुलाई जनहित याचिका की विषय-वस्तु और यह देखते हुए कि राज्य में "काला जादू और अघोरी प्रथाओं जैसी अन्य अमानवीय गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए" "कोई कानून नहीं है", गुजरात सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह से जवाब मांगा था।
शुक्रवार को राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील जीएच विर्क ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से प्रख्यापित कानून की एक प्रति जिसे 'गुजरात मानव बलि और अन्य अमानवीय, दुष्ट और अघोरी प्रथाओं की रोकथाम और उन्मूलन अधिनियम' के रूप में जाना जाता है, दो सितंबर के गुजरात सरकार के राजपत्र में अधिसूचित है।
इसके बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस अधिनियम की धारा 11 राज्य सरकार द्वारा अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नियम बनाने का प्रावधान करती है।
इसके बाद न्यायालय ने आदेश में कहा,
"यह अपेक्षित है कि धारा 11 के अनुसार अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नियम बनाए जाएं और उन्हें यथासंभव कम समय में लागू किया जाए। हम यह भी चाहते हैं कि राज्य सरकार अधिनियम के प्रावधानों और इसके तहत बनाए गए नियमों का उचित प्रचार-प्रसार सभी संचार माध्यमों जैसे समाचार-पत्रों, राज्य सरकार के सोशल मीडिया हैंडल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट चैनलों जैसे समाचार-पत्र दूरदर्शन आदि के माध्यम से पर्याप्त समयावधि में करे, ताकि राज्य के लोगों को अधिनियम के तहत उन्हें दी गई सुरक्षा के बारे में पता चले। इस उम्मीद और विश्वास के साथ कि अधिनियम के प्रावधानों को सही अर्थों में लागू किया जाएगा, हम वर्तमान याचिका को यहीं समाप्त करते हैं।"
अदालत ने अपने आदेश में आगे जनहित याचिका याचिकाकर्ताओं और उनके वकील, अधिवक्ता हर्ष के रावल के प्रति "आभार व्यक्त किया", जिन्होंने इस मुद्दे की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया।
सुनवाई के दौरान रावल ने कहा कि वह कानून पारित करने के लिए "अदालत और सरकार की उदारता के आभारी हैं।" इस पर हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा, "हमने कुछ नहीं किया, हमने सिर्फ वही पेश किया जो आप हमारे सामने लेकर आए हैं। इसे अदालत और सरकार के सामने लाने का श्रेय आपको जाता है"।
केस टाइटलः अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूल समिति और अन्य बनाम गुजरात राज्य और अन्य।