तलाशी अभियान नहीं चला सकते: गुजरात हाईकोर्ट ने दाहोद में मनरेगा फंड की गड़बड़ी संबंधी जनहित याचिका खारिज की

Update: 2025-08-18 13:17 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार (17 अगस्त) को दाहोद ज़िले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MANREGA) के फंड में गड़बड़ी के आरोपों पर दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की दलीलें केवल अनियंत्रित जांच की मांग कर रही हैं, जबकि किसी अधिकारी के खिलाफ प्रत्यक्ष आरोप नहीं लगाए गए।

चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस निशा एम. ठाकोर की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,

"यह पूरी तरह से भ्रामक जनहित याचिका है, जिसमें केवल सामान्य आरोपों के आधार पर अनिश्चित जांच की मांग की गई। याचिकाकर्ता स्वयं को RTI एक्टिविस्ट और पत्रकार बताते हैं तथा दावा करते हैं कि वे पशुपालन का व्यवसाय करते हैं।"

अदालत ने नोट किया कि याचिकाकर्ता बनासकांठा ज़िले के निवासी हैं। उन्होंने केवल दाहोद गाँव की यात्रा के दौरान गड़बड़ी का संज्ञान लेने का दावा किया। इसके बाद तथाकथित शोध कर उन्होंने MANREGA योजना में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए।

खंडपीठ ने कहा कि यदि वास्तव में कोई वित्तीय गड़बड़ी हुई तो उसकी जांच संबंधित वैधानिक प्राधिकारी कर सकते हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना किसी विशेष अधिकारी या पंचायत सदस्य पर आरोप लगाए अदालत सामान्य शोध के आधार पर व्यापक जांच के आदेश नहीं दे सकती।

न्यायालय ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा,

"यह याचिका केवल PIL प्रक्रिया का दुरुपयोग है। जनहित याचिका का उद्देश्य सार्वजनिक हित के गंभीर मुद्दों पर न्यायिक हस्तक्षेप कराना है, न कि व्यक्तिगत शोध के आधार पर अनिश्चित जांच करवाना।"

अदालत ने याचिका को भ्रमपूर्ण और आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया।

केस टाइटल: कमलेश गंगाभारती गोस्वामी बनाम गुजरात राज्य एवं अन्य

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