गुजरात हाईकोर्ट ने 2013 के बलात्कार मामले में आसाराम की सज़ा 6 महीने के लिए निलंबित की

Update: 2025-11-06 06:45 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार (6 नवंबर) को आसाराम की सज़ा छह महीने के लिए निलंबित की। आसाराम गांधीनगर की एक सत्र अदालत द्वारा 2013 के एक बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए हैं और आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

इससे पहले, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति पर जवाब मांगा था। आसाराम के वकील ने पहले हाईकोर्ट को बताया कि अन्य बलात्कार मामले में आवेदक द्वारा दायर एक अलग ज़मानत याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट 29 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।

गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने पिछले महीने आसाराम की सज़ा छह महीने के लिए निलंबित की थी और उनकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उन्हें अंतरिम ज़मानत पर रिहा कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि उनकी हालत "बेहोशी की हालत" में है और जेल में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। बता दें, जोधपुर सेशन कोर्ट ने अप्रैल, 2018 में आसाराम को 2013 में अपने आश्रम में नाबालिग से बलात्कार के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

जस्टिस इलेश जे वोरा और जस्टिस आरटी वच्छानी की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा,

"इसी आधार पर दी गई... हम इसे तदनुसार ढालेंगे... 6 महीने का समय"।

हाईकोर्ट आसाराम की नियमित ज़मानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान, सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने दलील दी कि राजस्थान हाईकोर्ट ने सज़ा को 6 महीने के लिए निलंबित की और हाईकोर्ट का आदेश पीठ के समक्ष रखा।

कामत ने कहा,

"मेरा एकमात्र अनुरोध है कि माननीय जज उनकी मेडिकल स्थिति, उम्र पर विचार करें......सज़ा के निलंबन पर विचार करें। जब भी अपील सूचीबद्ध होगी, हम उस पर बहस करेंगे... हम देरी करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।"

आसाराम की मेडिकल स्थिति पर राज्य के वकील ने कहा कि अगर राजस्थान की जेल में सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं तो आवेदक को गुजरात की जेल में स्थानांतरित किया जा सकता है और उसे वे सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं।

पीड़िता के वकील सीनियर एडवोकेट बी.बी. नाइक ने कहा,

"जब तक वह लंबे समय तक किसी विशेष अस्पताल में इलाज नहीं कराते... पिछली बार मैंने कहा कि वह भारत भ्रमण करना चाहते हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने भी 27 अगस्त के आदेश में इस बात का उल्लेख किया... आज वह इलाज करा रहे हैं... पेश किए गए प्रमाणपत्रों में यह नहीं कहा गया कि उनकी हालत गंभीर है। अस्थायी ज़मानत देने की कोई ज़रूरत नहीं है।"

इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आसाराम की अस्थायी ज़मानत याचिका खारिज की थी और आवेदक को 30 अगस्त तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।

Case title: ASHUMAL @ ASHARAM v/s STATE OF GUJARAT & ANR.

Tags:    

Similar News