CrPc की धारा 173(8) के तहत आगे की जांच केवल जांच अधिकारी द्वारा नई सामग्री की खोज के आधार पर की जाती है: गुवाहाटी हाईकोर्ट

Update: 2024-09-30 08:38 GMT

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सीआरपीसी की धारा 173(8) के तहत आगे की जांच केवल जांच अधिकारी द्वारा नई सामग्री की खोज के आधार पर की जा सकती है।

इसलिए उन्होंने मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें आईओ को APDCL के जूनियर मैनेजर के खिलाफ आपराधिक हेराफेरी के मामले में आगे की जांच करने का निर्देश दिया गया था। इसमें मामले में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद यह माना गया कि आईओ ने मामले को स्थापित करने के लिए आवश्यक सभी सामग्री एकत्र नहीं की थी।

जस्टिस पार्थिवज्योति सैकिया की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा,

“जब भी पुलिस द्वारा फाइनल रिपोर्ट दायर की जाती है तो अदालत को आपत्ति पूछने के लिए इंफॉर्मेंट को नोटिस जारी करना पड़ता है। यदि आपत्ति दर्ज की जाती है तो न्यायालय को CrPc की धारा 200 के तहत गवाहों की जांच करनी होती है। इसके बाद न्यायालय को उन अपराधों का संज्ञान लेने की स्वतंत्रता है, जो उक्त जांच में प्रथम दृष्टया उपलब्ध हैं, जहां तक ​​आगे की जांच के अर्थ का सवाल है। यदि जांच अधिकारी धारा 173(8) के अनुसार न्यायालय के समक्ष अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के बाद आगे मौखिक या दस्तावेजी साक्ष्य प्राप्त करता है तो ही आगे की जांच के लिए निर्देश पारित किया जा सकता है।”

न्यायालय मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द करने के लिए आरोपी द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहा था। उस पर APDCL के 15,32,574/- रुपये के राजस्व का दुरुपयोग और गबन करने का आरोप है। उस पर आईपीसी की धारा 120बी, 409, 420 और 201 के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने जांच की और जांच के निष्कर्ष पर साक्ष्य के अभाव में अंतिम रिपोर्ट दायर की।

इंफॉर्मेंट ने विरोध याचिका दायर की, जिसके बाद मजिस्ट्रेट ने आगे की जांच का आदेश दिया। इस आदेश को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया।

Justice Parthivjyoti Saikia#Further investigation

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