गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम में भैंस और बुलबुली पक्षियों की लड़ाई पर पूर्ण प्रतिबंध जारी किया
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मंगलवार को असम राज्य में भैंस और बुलबुली पक्षियों की लड़ाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया।
जस्टिस देवासीस बरुआ ने पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया, जिसमें तर्क दिया गया कि 2023 की सरकारी अधिसूचना, जिसने इन लड़ाइयों को होने दिया, पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 का उल्लंघन करती है।
इसके अलावा यह भी तर्क दिया गया कि इन लड़ाइयों को आगे बढ़ाने की अनुमति देना भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम ए. नागराजा (जलीकट्टू मामला) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लंघन करता है।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने सरकारी अधिसूचना खारिज की और कहा,
“पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 3 पशुओं की देखभाल करने वाले व्यक्तियों के कर्तव्य से संबंधित है, जो अनिवार्य है। पशुओं को दिए गए अधिकार कर्तव्य के विपरीत हैं। यदि उन अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है तो कानून कानूनी मंजूरी के साथ उन अधिकारों को लागू करेगा।"
इसके अलावा, यह भी माना गया कि अन्य राज्यों के विपरीत असम ने क्रूरता निवारण अधिनियम में कोई संशोधन नहीं किया है बल्कि इसके बजाय अधिनियम, साथ ही 1972 के अधिनियम और नागराजा निर्णय को दरकिनार करने का विकल्प चुना है, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।