Sedition Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने शरजील इमाम की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2024-03-11 05:48 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को शरजील इमाम द्वारा (UAPA Act) और देशद्रोह मामले (Sedition Case) में वैधानिक जमानत देने से इनकार करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा और मामले को अप्रैल में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

यह मामला नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया इलाके में उनके द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है।

इमाम ने मामले में अधिकतम सात साल की सजा में से आधी सजा काट लेने के कारण वैधानिक जमानत मांगी थी। 17 फरवरी को ट्रायल कोर्ट ने उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके भाषणों और गतिविधियों ने "जनता को संगठित किया", जिसने राष्ट्रीय राजधानी को बाधित किया और 2020 के दंगों के फैलने का मुख्य कारण हो सकता है।

इमाम पर दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा द्वारा दर्ज 2020 की एफआईआर 22 के तहत मामला दर्ज किया गया। जबकि मामला शुरू में राजद्रोह के अपराध के लिए दर्ज किया गया। बाद में UAPA Act की धारा 13 लागू की गई। वह 28 जनवरी, 2020 से मामले में हिरासत में हैं।

ट्रायल कोर्ट ने कहा था,

“हालांकि आवेदक ने किसी को हथियार उठाने और लोगों को मारने के लिए नहीं कहा, उसके भाषणों और गतिविधियों ने जनता को संगठित किया, जिससे शहर में अशांति फैल गई और दंगे भड़कने का मुख्य कारण हो सकता है। इसके अलावा, भड़काऊ भाषणों और सोशल मीडिया के माध्यम से आवेदक ने कुशलतापूर्वक वास्तविक तथ्यों में हेरफेर किया और शहर में तबाही मचाने के लिए जनता को उकसाया।”

अदालत ने पिछले साल जनवरी में इमाम के खिलाफ एफआईआर में आरोप तय किए। उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124ए (देशद्रोह), 153ए, 153बी, 505 के साथ UAPA Act की धारा 13 तहत अपराध का आरोप लगाया गया है।

पिछले साल जून में इमाम ने दिसंबर, 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में दिए गए एक ही भाषण के लिए दो अलग-अलग मामलों में उनके खिलाफ कार्यवाही को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था। मामला अभी लंबित है।

केस टाइटल: शरजील इमाम बनाम राज्य

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