हाईकोर्ट ने सभी सरकारी स्कूलों में पाठ्यपुस्तकों के वितरण के लिए दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की सराहना की

Update: 2024-07-04 12:23 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी के सभी सरकारी स्कूलों में पाठ्यपुस्तकों के पूर्ण वितरण के लिए दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की सराहना की।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ को दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने सूचित किया कि सभी सरकारी स्कूलों में पाठ्यपुस्तकें वितरित की गईं।

अदालत ने मौखिक रूप से कहा,

"बहुत अच्छा यह दर्शाता है कि जब इच्छा होती है, तो कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है।"

दिल्ली सरकार के प्रभारी शिक्षा निदेशक के निर्देश पर त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि सभी सरकारी स्कूलों में पाठ्यपुस्तकों का पूर्ण वितरण किया गया है।

अदालत ने कहा,

"यह अदालत शिक्षा निदेशालय द्वारा किए गए काम की सराहना करती है।"

इसके अलावा स्कूलों में भीड़भाड़ कम करने की प्रक्रिया पर त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि पिछली स्थिति रिपोर्ट में उल्लिखित अनुपालन का अनुपालन किया जाएगा। इसके अनुसार, अदालत ने एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका को बंद कर दिया, जिसमें तर्क दिया गया था कि एमसीडी स्कूलों में छात्रों को यूनिफॉर्म, लेखन सामग्री, नोटबुक आदि जैसे वैधानिक लाभों से वंचित किया जा रहा है।

याचिका में MCD को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि सभी छात्रों के पास चालू बैंक खाते हों और इन खातों के खुलने तक उन्हें बियरर चेक के माध्यम से लाभ प्रदान किए जाएं। इससे पहले, अदालत ने कहा था कि गिरफ्तारी के बावजूद अरविंद केजरीवाल का मुख्यमंत्री का पद संभालना उनका व्यक्तिगत निर्णय है लेकिन उनकी अनुपस्थिति एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे बच्चों को उनकी मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, लेखन सामग्री और यूनिफॉर्म प्राप्त करने से नहीं रोक सकती।

MCD आयुक्त ने अदालत को पहले बताया था कि केवल स्थायी समिति के पास 5 करोड़ रुपये से अधिक के ठेके देने का अधिकार है। पीठ ने तब कहा था कि कोई रिक्तता नहीं हो सकती और यदि किसी कारण से स्थायी समिति का गठन नहीं होता है, तो वित्तीय शक्ति दिल्ली सरकार द्वारा किसी उपयुक्त प्राधिकारी को सौंपे जाने की आवश्यकता है।

पिछले सप्ताह दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि शक्तियों का हस्तांतरण केवल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सहमति से किया जा सकता है, जो वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। यह दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के निर्देश पर किया गया था।

खंडपीठ ने तब परियोजनाओं के ठप होने और बच्चों को किताबें और वर्दी न दिए जाने को लेकर दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी और कहा था कि सरकार केवल शक्ति के विनियोग में रुचि रखती है और जमीनी स्तर पर कुछ भी काम नहीं कर रही है।

इससे पहले MCD आयुक्त ने अदालत को बताया कि नगर निगम द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ने वाले 2 लाख से अधिक छात्रों के पास बैंक खाते नहीं हैं और उन्हें न तो नोटबुक वितरित की गई हैं और न ही वर्दी, स्कूल बैग और स्टेशनरी के लिए नकद प्रतिपूर्ति मिल रही है।

खंडपीठ ने तब कहा था कि बिना किताबों और वर्दी के स्कूल जाने वाले और नई कक्षा में पदोन्नत होने वाले छात्रों की रुचि खत्म हो जाएगी, जिसका उन पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा।

केस टाइटल- सोशल ज्यूरिस्ट बनाम जीएनसीटीडी एवं अन्य।

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