जनता के लिए खतरा या अन्य स्थितियों के बिना बुलेटप्रूफिंग के लिए वाहन का रजिस्ट्रेशन निलंबित नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाइकोर्ट

Update: 2024-04-30 08:36 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने माना कि यद्यपि मोटर वाहन अधिनियम (MV Act) की धारा 52 वाहनों को बुलेटप्रूफिंग की स्पष्ट रूप से अनुमति नहीं देती, फिर भी किसी वाहन का रजिस्ट्रेशन बुलेटप्रूफिंग के लिए निलंबित नहीं किया जा सकता। विशेष रूप से जब तक कि एक्ट की धारा 53 के तहत निर्धारित इस बात का कोई विशिष्ट निष्कर्ष न हो कि ऐसे संशोधन से जनता को खतरा होता है।

धारा 53 उन स्थितियों को निर्धारित करती है, जिनके कारण वाहन का रजिस्ट्रेशन निलंबित किया जा सकता है। इसमें ऐसे वाहन शामिल हैं, जिनका सार्वजनिक स्थान पर उपयोग जनता के लिए खतरा बन सकता है या जो मोटर वाहन अधिनियम या नियमों की आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहता है या वैध परमिट के बिना किराए या इनाम के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला वाहन है।

जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा,

“मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 52 में किसी भी वाहन की बुलेटप्रूफिंग के संबंध में परिवर्तन/संशोधन की अनुमति देने वाला कोई प्रावधान शामिल नहीं है। इसका यह अर्थ नहीं है कि वाहन की बुलेटप्रूफिंग के परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे सार्वजनिक स्थान पर वाहन का उपयोग जनता के लिए खतरा बन जाता है। इसके अलावा बुलेटप्रूफिंग के संबंध में किसी भी शर्त/प्रावधान की अनुपस्थिति अपने आप में वाहन के रजिस्ट्रेशन के निलंबन का आधार नहीं हो सकती, जब तक कि रजिस्ट्रेशन के निलंबन के लिए वैधानिक रूप से निर्धारित मापदंडों के संबंध में कोई निष्कर्ष न दिया जाए, जैसा कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 53 (1) में निर्धारित किया गया है।”

याचिकाकर्ता की कार के आंशिक बुलेटप्रूफिंग के लिए रजिस्ट्रेशन के निलंबन के खिलाफ अपील पर विचार करते समय ये टिप्पणियां की गईं। परिवहन विभाग ने यह कहते हुए कार का पंजीकरण रद्द कर दिया था कि कारों को बुलेटप्रूफ करने के लिए कोई नियम नहीं हैं।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि विवादित आदेश किसी भी तरह से आधारहीन है, क्योंकि याचिकाकर्ता द्वारा वाहन की बुलेटप्रूफिंग के लिए औचित्य देने वाले विभिन्न प्रस्तुतियों पर विचार नहीं किया गया।

न्यायालय ने कहा कि निलंबन आदेश का अवलोकन यह प्रकट नहीं करता है कि धारा 53(1) में उल्लिखित शर्तें वर्तमान मामले में कैसे पूरी होती हैं।

आगे कहा गया,

"आक्षेपित आदेश यह नहीं कहता है कि मोटर वाहनों के ढांचे के भीतर किसी भी वाहन की बुलेटप्रूफिंग की अनुमति नहीं है।"

इस प्रकार इसने विवादित आदेश खारिज कर दिया और मामले को वैधानिक प्राधिकरण को वापस भेज दिया। साथ ही उसे एक तर्कसंगत आदेश पारित करने के लिए कहा है।

केस टाइटल- रुमित कुमार बनाम परिवहन विभाग जीएनसीटीडी और अन्य

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