हम आपको अंतहीन बहस नहीं सुन सकते: शरजील इमाम और उमर खालिद की जमानत पर सुनवाई करते हुए प्रॉसिक्यूशन से बोला हाईकोर्ट

2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के यूएपीए मामले के संबंध में शरजील इमाम, उमर खालिद और अन्य आरोपियों द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि राज्य की दलीलें अंतहीन रूप से नहीं चल सकतीं।
स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूशन (SPP) की दलीलें एक घंटे से अधिक समय तक सुनने के बाद जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की खंडपीठ ने कहा,
"इसे अब समाप्त करने की आवश्यकता है। हम आपको इस तरह अंतहीन समय नहीं दे सकते।"
09 जनवरी को पिछली सुनवाई के दौरान भी न्यायालय ने SPP से अपनी दलीलें समाप्त करने के लिए कहा था। न्यायालय ने मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि यह कोई मुकदमा नहीं था और SPP से पूछा था कि अपनी दलीलें समाप्त करने में उन्हें कितना समय लगेगा।
SPP ने शरजील इमाम के भाषण के अंश पढ़कर यह साबित किया कि वह दिल्ली दंगों की साजिश में शामिल था। SPP ने कहा कि इमाम के भाषणों से ही साजिश का पता चलता है।
दिल्ली में चक्का जाम करने के लिए इमाम के आह्वान वाले भाषण का जिक्र करते हुए SPP ने कहा कि इमाम ने भड़काऊ भाषण दिया। इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली ही विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बिंदु हो। SPP ने आगे कहा कि इमाम ने शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन इमाम के दिमाग की उपज है, जबकि स्थानीय लोग विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ थे।
CAA-NRC के कार्यान्वयन के खिलाफ इमाम के भाषण का हवाला देते हुए SPP ने तर्क दिया कि इमाम एक कानून को लागू करने के लिए देश की संप्रभुता को चुनौती दे रहा था।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विरोध प्रदर्शनों के लिए लामबंदी मैसेज फर्जी नंबर से आए और ऐसे मैसेज अधिकतम पहुंच के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया और AIMIM के ग्रुप्स सहित विभिन्न ग्रुप्स में पोस्ट किए गए।
इस मोड़ पर अदालत ने कहा कि बहस खत्म होनी चाहिए।
जस्टिस नवीन चावला ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
"हमें इसे कभी न कभी समाप्त करना ही होगा।"
SPP ने कहा कि दो समन्वय पीठों ने पहले ही यह मान लिया कि साजिश रची गई।
इस पर न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा,
"आपको हमें बस इतना ही दिखाना है। अगली बार नोट दीजिए। इस तरह अंतहीन नहीं चल सकते।"
न्यायालय ने मामले की सुनवाई 03 फरवरी को तय की।
केस टाइटल: उमर खालिद बनाम राज्य और अन्य संबंधित मामले