दिल्ली हाईकोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर ED, CBI से जवाब मांगा

Update: 2024-05-03 07:14 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) नेता मनीष सिसोदिया द्वारा शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में जमानत की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई 08 मई को तय की।

सीनियर एडवोकेट दयान कृष्णन सिसौदिया की ओर से पेश हुए। उन्होंने कहा कि एक आवेदन भी दायर किया गया, जिसमें मांग की गई कि जमानत याचिका लंबित रहने के दौरान निचली अदालत के आदेश को जारी रखा जाए, जिसमें सिसोदिया को अपनी बीमार पत्नी से सप्ताह में एक बार मिलने की अनुमति दी जाए।

विशेष वकील जोहेब हुसैन ED की ओर से पेश हुए और कहा कि अगर ट्रायल कोर्ट का आदेश जारी रहता है तो जांच एजेंसी को कोई आपत्ति नहीं है।

सिसौदिया ने 30 अप्रैल को CBI और ED दोनों मामलों में उनकी दूसरी जमानत याचिका खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए ट्रायल कोर्ट ने सिसोदिया की इस दलील को खारिज कर दिया कि मामले में कार्यवाही में देरी हुई है या मामले की कार्यवाही धीमी गति से चल रही है। यह भी देखा गया कि तथाकथित देरी स्पष्ट रूप से आप नेता के कारण ही हुई।

ED और CBI दोनों मामलों में ट्रायल कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत से इनकार के खिलाफ सिसोदिया की पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी थी। उनकी क्यूरेटिव याचिकाएं भी खारिज हो चुकी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर मुकदमा धीमी गति से आगे बढ़ता है तो वह ट्रायल कोर्ट के समक्ष नई जमानत याचिका दायर कर सकते हैं।

मनीष सिसौदिया को पहली बार पिछले साल क्रमश: 26 फरवरी और 9 मार्च को ED और CBI ने गिरफ्तार किया था।

CBI द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में सिसौदिया और अन्य पर 2021-22 की उत्पाद नीति के संबंध में लाइसेंसधारी पोस्ट टेंडर के लिए "सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से" 'सिफारिश' करने और 'निर्णय लेने' में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया।

केंद्रीय एजेंसी ने यह भी दावा किया कि AAP नेता को इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने गोल-मोल जवाब दिए और सबूतों के सामने आने के बावजूद जांच में सहयोग करने से इनकार कर दिया।

दूसरी ओर, प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया कि कुछ निजी कंपनियों को थोक व्यापार में 12 प्रतिशत का लाभ देने की साजिश के तहत उत्पाद शुल्क नीति लागू की गई थी। हालांकि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के मिनटों में ऐसी किसी शर्त का उल्लेख नहीं किया गया।

एजेंसी ने यह भी दावा किया कि थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए विजय नायर और साउथ ग्रुप के साथ अन्य व्यक्तियों द्वारा साजिश रची गई। एजेंसी के मुताबिक, नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की ओर से काम कर रहे थे।

दोनों मामलों में सिसौदिया की जमानत अर्जी स्पेशल जज एमके नागपाल (अब स्थानांतरित) ने पिछले साल 31 मार्च और 28 अप्रैल को खारिज कर दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों मामलों में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार किया, जिसके बाद उन्होंने इन दोनों फैसलों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

पिछले साल 30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

केस टाइटल: मनीष सिसौदिया बनाम ईडी, सीबीआई

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