अगर कोई प्रेमी प्रेम में असफल होने के कारण आत्महत्या करता है तो महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता: दिल्ली हाइकोर्ट

Update: 2024-04-17 06:16 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने कहा कि जहां कोई प्रेमी प्रेम में असफल होने के कारण आत्महत्या करता है, वहां महिला को पुरुष को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

जस्टिस अमित महाजन ने फैसला सुनाया कि कमजोर या दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति द्वारा लिए गए गलत निर्णय के लिए किसी अन्य व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

अदालत ने कहा,

"अगर कोई प्रेमी प्रेम में असफल होने के कारण आत्महत्या करता है, कोई स्टूडेंट परीक्षा में अपने खराब प्रदर्शन के कारण आत्महत्या करता है, कोई मुवक्किल इसलिए आत्महत्या करता है, क्योंकि उसका मामला खारिज हो गया है, तो महिला, परीक्षक, वकील को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।”

इसमें कहा गया,

"कमजोर या दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति द्वारा लिए गए गलत निर्णय के लिए किसी अन्य व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।"

जस्टिस महाजन ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में महिला और पुरुष को अग्रिम जमानत देते हुए यह टिप्पणी की। आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के पिता द्वारा की गई शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी। आवेदकों में से एक महिला मृतक के साथ प्रेम संबंध में थी। अन्य आवेदक कॉमन फ्रेंड था। यह आरोप लगाया गया कि आवेदकों ने मृतक को यह कहकर उकसाया कि उन्होंने एक-दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाए और जल्द ही शादी कर लेंगे।

मृतक का शव उसकी मां ने उसके कमरे का आधा खुला हुआ पाया। सुसाइड नोट भी बरामद किया गया, जिसमें मृतक ने लिखा कि वह दो आवेदकों की वजह से आत्महत्या कर रहा है। आवेदकों को अग्रिम जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर रखे गए व्हाट्सएप चैट से प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि मृतक संवेदनशील स्वभाव का था और जब भी महिला उससे बात करने से इनकार करती थी तो वह उसे लगातार आत्महत्या करने की धमकी देता था।

अदालत ने कहा,

"यह सही है कि मृतक ने सुसाइड नोट में आवेदकों का नाम लिखा, लेकिन इस न्यायालय की राय में मृतक द्वारा लिखे गए कथित सुसाइड नोट में ऐसी धमकियों की प्रकृति के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया, जो इतनी भयावह हैं कि सामान्य व्यक्ति आत्महत्या करने के बारे में सोच सकता है।"

अदालत ने कहा कि कथित सुसाइड नोट की सच्चाई और क्या आवेदकों द्वारा कोई उकसावा था, यह सब मुकदमे में देखा जाएगा।

अदालत ने कहा,

"प्रथम दृष्टया कथित सुसाइड नोट में केवल आवेदकों के प्रति मृतक की पीड़ा व्यक्त की गई, लेकिन यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि आवेदकों का कोई इरादा था, जिसके कारण मृतक ने आत्महत्या की।

केस टाइटल- आरुषि गुप्ता बनाम दिल्ली राज्य सरकार और अन्य संबंधित मामले

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