दिल्ली हाईकोर्ट ने महरौली में ध्वस्त की गई 600 साल पुरानी मस्जिद की जगह पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया

Update: 2024-02-05 07:45 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को उस जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया, जिस पर शहर के महरौली इलाके में 600 साल पुरानी मस्जिद, मस्जिद अखोनजी को ध्वस्त कर दिया गया।

जस्टिस सचिन दत्ता ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति द्वारा दायर जरूरी आवेदन पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। 12 फरवरी तक यथास्थिति बरकरार रहेगी।

अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि यथास्थिति का आदेश केवल उस खसरा संख्या के संबंध में पारित किया गया, जहां मस्जिद स्थित थी और यह DDA पर आसपास के क्षेत्रों पर अपनी कार्रवाई करने में बाधा नहीं बनेगी।

मदरसा बहरूल उलूम और विभिन्न कब्रों के साथ मस्जिद को 30 जनवरी को डीडीए द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था।

दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति का मामला है कि मस्जिद और मदरसे को निर्लज्ज तरीके से ध्वस्त किया गया। दावा किया गया कि मस्जिद के इमाम जाकिर हुसैन और उनके परिवार को आश्रय के बिना छोड़ दिया गया और उनकी झोपड़ी भी ध्वस्त कर दी गई।

दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति की ओर से पेश वकील ने कहा कि DDA द्वारा अवैध रूप से और न्यायिक आदेशों का उल्लंघन करते हुए विध्वंस किया गया। उन्होंने आगे कहा कि विध्वंस संपत्ति का कोई सर्वेक्षण किए बिना या पूर्व सूचना दिए बिना किया गया।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुरान की प्रतियां फाड़ दी गईं, बच्चों को अपना सामान भी नहीं लेने दिया गया और कोई भी रिकॉर्ड सुरक्षित नहीं रखा गया।

दूसरी ओर, DDA के वकील ने विध्वंस को चुनौती देने में दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति के अधिकार पर सवाल उठाया। उसने तर्क दिया कि विध्वंस की कार्रवाई 04 जनवरी को धार्मिक समिति की सिफारिश के अनुसार की गई।

वकील ने अदालत को सूचित किया कि धार्मिक समिति ने न केवल मस्जिद बल्कि कुछ मंदिरों और अन्य धार्मिक संरचनाओं को भी ध्वस्त करने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि प्रबंध समिति के वकील मामले को धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।

इसके अलावा, वकील ने निर्देश पर अदालत को यह भी बताया कि लगभग 20 धार्मिक पुस्तकें DDA की सुरक्षित हिरासत में हैं, जिन्हें सौंप दिया जाएगा।

दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि हालांकि बोर्ड के सीईओ ने धार्मिक समिति की बैठक में भाग लिया, लेकिन उन्होंने मस्जिद को गिराने की सिफारिश के खिलाफ लिखित आपत्ति दी थी।

केस टाइटल: दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति बनाम एनसीटी सरकार (जीएनसीटी), दिल्ली और अन्य।

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