स्वतंत्रता के प्रति गंभीरता की कमी': दिल्ली पुलिस की लापरवाही पर हाईकोर्ट की फटकार, सिस्टम सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश
दिल्ली हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी मामले में सुनवाई के दौरान जांच अधिकारियों (IO) की गैर-हाजिरी और तैयारी की कमी को लेकर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई।
जस्टिस गिरीश कथपालिया ने कहा कि यह पुलिस की ओर से व्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति गंभीरता की कमी को दर्शाता है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह टिप्पणी उस समय आई, जब न्यायालय एक पूर्व-गिरफ्तारी जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था। कोर्ट ने यह जानकर हैरानी जताई कि कई बार निर्देश देने के बावजूद न तो जांच अधिकारी (IO) और न ही थाना प्रभारी (SHO) कोर्ट में पेश हुए।
हालांकि, एक सब-इंस्पेक्टर कोर्ट में उपस्थित था लेकिन जब कोर्ट ने जांच फ़ाइल के बारे में पूछा तो सरकारी वकील (APP) ने असमर्थता जताई और बताया कि जांच फाइल लाई ही नहीं गई।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
"यह अपने आप में यह दर्शाता है कि संबंधित IO और SHO की नजर में व्यक्ति की स्वतंत्रता का कोई विशेष महत्व नहीं है। यह तथ्य यहां तक भी जा सकता है कि जमानत याचिका मंजूर की जाए, क्योंकि पुलिस इसका विरोध करने के प्रति गंभीर नहीं दिख रही है।"
कोर्ट ने आगे कहा कि पहले जांच अधिकारी सुनवाई से पहले शाम को या कम से कम सुबह सरकारी वकील को ब्रीफ करते थे, लेकिन अब यह देखा जा रहा है कि वे या तो सुनवाई के बाद ही ब्रीफ करते हैं या कोर्ट में आते ही नहीं।
कोर्ट ने यह भी कहा,
"इस आदेश की एक प्रति संबंधित DCP को भेजी जाए ताकि व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए गंभीर प्रयास किए जा सकें।"
हालांकि पुलिस के इस लापरवाह रवैये के बावजूद, कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का उचित अवसर देने का निर्देश दिया।
कोर्ट के निर्देश:
राज्य को चार सप्ताह के भीतर जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा गया।
अगली सुनवाई तक आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
आरोपी को निर्देश मिलने पर जांच में सहयोग करने और उपस्थित होने का आदेश दिया गया।
यह मामला वर्ष 2020 में दर्ज FIR से संबंधित है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 471 और 120B के तहत आरोप लगाए गए । आरोपी पर आरोप है कि उसने अचल संपत्ति की बिक्री से संबंधित दस्तावेजों में जालसाजी की और कुछ बिक्री दस्तावेजों पर फर्जी नोटरीकरण किया गया।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त, 2025 को होगी।
टाइटल: शंकर बनाम एनसीटी दिल्ली सरकार एवं अन्य