दिल्ली हाईकोर्ट ने वित्त, प्रदूषण, शराब पर 12 CAG रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष पेश करने की मांग वाली BJP विधायकों की याचिका पर सरकार से जवाब मांगा

Update: 2024-10-29 10:38 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार से विभिन्न BJP नेताओं की याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें सरकार को वित्त, प्रदूषण, प्रशासन और शराब से संबंधित 12 CAG रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भेजने का निर्देश देने की मांग की गई, जिससे उन्हें विधानसभा के समक्ष पेश किया जा सके।

जस्टिस संजीव नरूला की एकल पीठ ने प्रतिवादियों- दिल्ली सरकार के वित्त मंत्रालय दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय उपराज्यपाल भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और महालेखाकार (लेखा परीक्षा), दिल्ली को नोटिस जारी किया।

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और छह BJP विधायकों मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन द्वारा दायर याचिका अब 9 दिसंबर को सूचीबद्ध की गई।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने कहा,

"यह याचिका है, जो राज्य सरकार और विशेष रूप से वित्त मंत्रालय के खिलाफ आदेश की मांग करती है, क्योंकि उन्होंने सीएजी की 12 ऑडिट रिपोर्ट को संबंधित प्राधिकरण यानी एलजी को सौंपने से इनकार किया, जिससे इसे दिल्ली राज्य विधानसभा में सार्वजनिक चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया जा सके। यह वैधानिक और अनिवार्य कर्तव्य है। ये 12 रिपोर्ट बेहद संवेदनशील मुद्दों से संबंधित हैं।”

याचिका में कहा गया कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक को भारतीय संविधान के अध्याय V के तहत उच्च गुणवत्ता वाले ऑडिटिंग और लेखांकन के माध्यम से जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने का अधिकार है।

कहा गया,

"CAG संवैधानिक निगरानी संस्था है जिसका उद्देश्य जनता, विधानमंडल और कार्यपालिका को स्वतंत्र और विश्वसनीय आश्वासन प्रदान करना है कि सार्वजनिक धन एकत्र किया जा रहा है। उसका प्रभावी और कुशलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है।"

इसमें कहा गया कि दिल्ली में वित्त, प्रदूषण, प्रशासन और शराब से संबंधित 12 सीएजी रिपोर्ट दिल्ली सरकार के वित्त मंत्रालय GNCTD द्वारा एलजी के समक्ष नहीं रखी गई। इसमें कहा गया कि 2017-2018 से 2021-2022 तक की कोई भी रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में पेश नहीं की जा रही है, क्योंकि प्रधान सचिव (वित्त) ने आज तक दिल्ली के उपराज्यपाल को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है।

याचिका में दावा किया गया कि देरी केवल प्रक्रियागत चूक नहीं है बल्कि हमारे संवैधानिक दायित्वों का गंभीर उल्लंघन है। याचिका में कहा गया कि 12 CAG रिपोर्ट को रोककर रखने और एलजी को प्रस्ताव न भेजने में दिल्ली सरकार के वित्त मंत्रालय की निष्क्रियता घोर अवैध है संवैधानिक और वैधानिक निर्देशों का उल्लंघन है और जनता के विश्वास का हनन है।

याचिका में दिल्ली सरकार के वित्त मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की गई कि वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 151(2), लेखापरीक्षा और लेखा विनियमन (विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए लेखापरीक्षा रिपोर्ट की प्रतियां अग्रेषित करना) के विनियमन 210(1) और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम की धारा 48 के तहत अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए एलजी को प्रस्ताव भेजे।

संविधान के अनुच्छेद 151(2) के अनुसार किसी राज्य के खातों से संबंधित सीएजी रिपोर्ट राज्य के राज्यपाल को प्रस्तुत की जाएगी, जो उन्हें राज्य के विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करवाएगा।

GNCTD Act की धारा 48 में कहा गया कि धारा 46 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट तिथि के बाद किसी भी अवधि के लिए राजधानी के खातों से संबंधित CAG रिपोर्ट उपराज्यपाल को प्रस्तुत की जाएगी जो उन्हें विधान सभा के समक्ष रखवाएंगे।

दिल्ली हाईकोर्ट ने वित्त, प्रदूषण, शराब पर 12 CAG रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष पेश करने की मांग वाली BJP विधायकों की याचिका पर सरकार से जवाब मांगा

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