लोन चुकाने के लिए जारी किए गए चेक के अनादर के लिए एकमात्र मालिक ही NI Act की धारा 138 के तहत उत्तरदायी: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2024-09-30 06:10 GMT

चेक बाउंसिंग मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने दोहराया कि एकल स्वामित्व वाली फर्म के संबंध में लोन चुकाने के लिए फर्म द्वारा जारी किए गए चेक के लिए अकेले स्वामी को ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

ऐसा करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता-सनत कुमार को परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI Act) की धारा 138 के तहत जारी की गई शिकायत और समन आदेश रद्द किया, जिसमें कथित तौर पर शिकायतकर्ता के पक्ष में चेक जारी किए गए थे, जो अनादरित हो गए थे। उन्होंने उल्लेख किया कि चेक शिकायतकर्ता द्वारा ऐसी इकाई को दिए गए लोन को चुकाने के लिए जारी किए गए थे, जिसका एकमात्र स्वामी याचिकाकर्ता नहीं बल्कि कोई अन्य व्यक्ति था।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की एकल न्यायाधीश पीठ ने अपने आदेश में कहा,

"यह स्थापित कानून है कि एकल स्वामित्व वाली फर्म के मामले में किसी भी ऋण के पुनर्भुगतान के लिए एकल स्वामित्व वाली फर्म द्वारा जारी किए गए चेक के लिए अकेले एकमात्र स्वामी को ही उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।”

शिकायत में आरोप लगाया गया कि आरोपी राजीव कुमार और हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता सनत कुमार ने 20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मांगी थी। शिकायतकर्ता प्रतिवादी संजय शर्मा से 2016 में 25 लाख रुपये उधार लिए थे।

शिकायत में आरोप लगाया गया कि लोन राशि चुकाने के लिए शिकायतकर्ता-प्रतिवादी के पक्ष में क्रमशः नवंबर और दिसंबर 2017 में दो चेक जारी किए गए। शिकायत में कहा गया कि जब शिकायतकर्ता प्रतिवादी ने दिल्ली में अपने बैंक में ये चेक पेश किए तो उन्हें रिटर्न मेमो ड्राअर द्वारा भुगतान रोक दिया गया के साथ बाउंस कर दिया गया।

शिकायतकर्ता ने जनवरी 2018 में आरोपियों को कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें उन्हें बाउंस किए गए चेक का भुगतान करने के लिए कहा गया। चूंकि भुगतान नहीं किया गया था, इसलिए शिकायतकर्ता प्रतिवादी ने NI Act की धारा 138 के तहत शिकायत दर्ज कराई।

इसके बाद जून 2018 में आरोपी व्यक्तियों को समन जारी किया गया। दो आरोपियों में से केवल याचिकाकर्ता-सनत कुमार ने हाईकोर्ट के समक्ष समन आदेश को चुनौती दी और दावा किया कि लोन लेने वाली संस्था एकमात्र स्वामित्व वाली है।

हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राजीव कुमार एकमात्र मालिक हैं। उन्होंने ही चेक जारी किए, जो कथित रूप से बाउंस हो गए थे। इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ NI Act की धारा 138 के तहत शिकायत कायम रखने योग्य नहीं है।

याचिकाकर्ता द्वारा दायर जीएसटी फॉर्म पर ध्यान देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यह संस्था की ओर इशारा करता है, जिसने वित्तीय सहायता मांगी थी - रीगल क्रूजर ट्रैवल्स जो एकल स्वामित्व वाली फर्म है और एकमात्र मालिक राजीव कुमार है, जो आरोपी नंबर 1 है न कि आरोपी नंबर 2 जो हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता है।

इसके मद्देनजर हाईकोर्ट ने कहा,

"उपर्युक्त के मद्देनजर चूंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ NI Act की धारा 138 के तत्व नहीं बनते हैं, इसलिए शिकायत और याचिकाकर्ता के संबंध में समन आदेश को रद्द किया जाता है।”

केस टाइटल: सनत कुमार बनाम संजय शर्मा

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