प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचना राजद्रोह, किसी व्यक्ति पर गैर-जिम्मेदाराना तरीके से ऐसा आरोप नहीं लगाया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा

Update: 2024-04-24 08:16 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक मौखिक टिप्पणी में कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचना राजद्रोह के बराबर है और प्रथम दृष्टया, किसी भी व्यक्ति पर प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने का आरोप गैरजिम्मेदाराना ढंग से नहीं लगाया जा सकता। जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा, "प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश के आरोप गैर-जिम्मेदाराना तरीके से नहीं लगाए जा सकते हैं और इन्हें ठोस और पर्याप्त कारणों पर आधारित होना चाहिए।"

बीजू जनता दल के सांसद और सीनियर एडवोकेट पिनाकी मिश्रा द्वारा एडवोकेट जय अनंत देहाद्राई के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे पर सुनवाई करते हुए अदालत ने ये मौखिक टिप्पणी की। मिश्रा ने देहाद्राई को उनके खिलाफ कथित तौर पर झूठे और मानहानिकारक आरोपों को प्रकाशित या प्रसारित करने से रोकने की मांग की है।

बीजद नेता ने आरोप लगाया है कि देहाद्राई ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और अपने ट्वीट में उन्हें "कैनिंग लेन" और "ओड़िया/उड़िया बाबू" कहा है। मिश्रा की ओर से वकील समुद्र सारंगी पेश हुए। देहाद्राई की ओर से एडवोकेट राघव अवस्थी उपस्थित हुए।

अवस्थी ने अपनी प्रस्तुतियों में कहा कि अगर निषेधाज्ञा के स्तर पर प्रथम दृष्टया सत्यता दिखाई जाती है तो कोई निषेधाज्ञा आदेश पारित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने ब्लूमबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का जिक्र किया जिसमें बोनार्ड मानक पर चर्चा की गई थी। सारंगी ने अदालत को बताया कि देहाद्राई द्वारा मिश्रा के खिलाफ लगाए गए आरोप यह हैं कि बीजद नेता प्रधानमंत्री को निशाना बनाने की साजिश के सूत्रधार हैं। उन्होंने कहा, मेरी पार्टी वैचारिक रूप से भाजपा और प्रधानमंत्री के साथ जुड़ी हुई है।

उन्होंने कहा, “अदालत के आदेश के बिना, कोई चुप्प नहीं होगा। इसे निषेधाज्ञा के माध्यम से रोका जाना चाहिए।” जैसे ही अदालत ने अवस्थी से पूछा कि मिश्रा प्रधानमंत्री को कैसे निशाना बना रहे हैं तो अवस्थी ने कहा कि आरोप का आधार यह है कि बीजद नेता और तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा के बीच घनिष्ठ संबंध हैं।

कोर्ट ने इस बिंदु पर अवस्थी से कहा, "कृपया समझे। ये प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप हैं. आप गैर-जिम्मेदार नहीं हो सकते, नहीं? जहां तक ​​मोइत्रा के खिलाफ आपके आरोपों का सवाल है, यह इस अदालत के समक्ष निर्णय के लिए लंबित है। लेकिन यह एक सांसद द्वारा पीएम के खिलाफ साजिश का गंभीर आरोप है. आप इसकी पुष्टि करें अन्यथा मैं आपको निषेधाज्ञा दे दूँगा।”

अवस्थी ने जवाब में कहा कि देहाद्राई ने व्यक्तिगत रूप से देखा है कि मिश्रा और मोइत्रा के बीच एक साजिश रची गई थी, और इसका सबूत व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी की ओर से दिए गए हलफनामे में भी मिलता है। जिस पर कोर्ट ने कहा, “आप जो कह रहे हैं उसके गंभीर परिणाम होंगे। इसका असर देश के सर्वोच्च पद पर पड़ता है। आप ऐसा कैसे कह सकते हैं?"

जिसके बाद देहाद्राई ने खुद अदालत से कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से मिश्रा, हीरंदानी और मोइत्रा के बीच बातचीत देखी है, जिसमें प्रधानमंत्री को निशाना बनाने के लिए साजिश रची गई थी। जिस पर जस्टिस सिंह ने कहा, “जब आप कहते हैं कि पीएम के खिलाफ साजिश है, तो यह परेशानी की बात है। आप गैर-जिम्‍मेदार नहीं हो सकते। आप अंततः कह सकते हैं कि वह एक राजनीतिज्ञ हैं...। मैं सहमत हूं। लेकिन यह गंभीर है।''

जस्टिस सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश वास्तव में राज्य के खिलाफ अपराध है। यह राजद्रोह है। आप जो लिखते हैं उसके बारे में सावधान रहें। ...आप यह सारा हलफनामा रिकॉर्ड पर दर्ज करें। मैं इसे रिकॉर्ड पर लूंगा।' सारंगी ने कहा कि एक सम्मानित नागरिक और एक मौजूदा सांसद होने के नाते, मिश्रा के मन में प्रधानमंत्री के लिए सर्वोच्च सम्मान है। जैसे ही अदालत ने मुकदमे में आदेश देना शुरू किया, अवस्थी ने अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई कल की जाए ताकि वह सीबीआई की शिकायत को रिकॉर्ड में रख सकें, जिससे मिश्रा की संलिप्तता का पता चल जाएगा। हालांकि अदालत इस अनुरोध से सहमत नहीं हुई। इसके मुताबिक, अब इस मामले की सुनवाई आज लंच के बाद के सत्र में होगी।

केस टाइटलः पिनाकी मिश्रा बनाम जय अनंत देहाद्राई और अन्य।

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