एसिड अटैक पीड़ितों को एक बार मुआवजा दिए जाने के बाद उसे मनमाने ढंग से न्यूनतम सीमा से कम नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना 2015 के तहत एसिड अटैक पीड़ितों को मुआवजा देने का निर्णय हो जाने के बाद उसे मनमाने ढंग से न्यूनतम सीमा 3 लाख रुपये से कम नहीं किया जा सकता।
जस्टिस तारा वितस्ता गंजू,
“योजना की भाषा और पर्याप्त मुआवजे की आवश्यकता पर चर्चा करने वाले विभिन्न न्यायिक निर्णयों से यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि निर्धारित न्यूनतम मुआवजा राशि एसिड अटैक पीड़ितों को पर्याप्त पुनर्वास और देखभाल प्रदान करने के इसके इच्छित उद्देश्यों के विपरीत है। इस प्रकार, यह न्यायालय इस बात से सहमत नहीं है कि योजना और अनुसूची इस न्यायालय द्वारा वैकल्पिक व्याख्या की मांग करती है।”
न्यायालय ने एसिड अटैक पीड़ित द्वारा योजना के अनुसार न्यूनतम 3 लाख रुपये के मुआवजे की मांग करने वाली याचिका स्वीकार करते हुए ये टिप्पणियां कीं। पेशे से डॉक्टर महिला पर कुछ लोगों ने हमला किया था और 2018 में उस पर तेजाब भी फेंका था।
उसने 2019 में आपराधिक चोट मुआवजा बोर्ड के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें उसे न्यूनतम 30,000 रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया गया। यह फैसला इस पृष्ठभूमि में लिया गया कि चोटों की गंभीरता 5-6% बताई गई, जो पैरों पर जलन थी।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना 2015 की अनुसूची में यह निर्धारित किया गया कि तेजाब हमले के पीड़ितों के लिए जहां चोटें 50% से कम हैं> न्यूनतम 3 लाख रुपये और अधिकतम 5 लाख रुपये देय हैं।
इसने कहा कि DSLSA अपने विवेक का प्रयोग करके यह जांच करने के लिए स्वतंत्र है कि कितनी राशि का भुगतान किया जाना है, बशर्ते कि राशि 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच हो।
कोर्ट ने कहा,
"इस कोर्ट को लगता है कि इस तरह की व्याख्या योजना के विधायी इरादे की सही व्याख्या होगी, खासकर इसलिए, क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के तेजाब हमलों के लिए अलग-अलग मात्रा निर्धारित की गई।"
उन्होंने आदेश दिया,
"प्रतिवादी नंबर 4 को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ता को इस निर्णय की तिथि से आठ सप्ताह के भीतर पहले से दिए गए अंतरिम मुआवजे को घटाकर 3 लाख रुपये की न्यूनतम क्षतिपूर्ति प्रदान करे।"
टाइटल: एक्स बनाम दिल्ली सरकार और अन्य।