325 दिन की देरी पर फटकार: गंभीर अपराधों में अपील में देरी पीड़ितों के न्याय के अधिकार पर कुठाराघात- दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2025-07-08 06:36 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि गंभीर आपराधिक मामलों में राज्य सरकार द्वारा अपील दाखिल करने में की गई देरी विशेषकर तब जब पीड़ित समाज के हाशिए या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आता हो, उसके निष्पक्ष न्याय के अधिकार को नुकसान पहुंचाती है।

जस्टिस स्वराणा कांता शर्मा की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा,

“पीड़ितों के पास स्वतंत्र रूप से कानूनी उपाय अपनाने के साधन नहीं होते और वे राज्य प्रणाली पर न्याय के लिए निर्भर रहते हैं। ऐसे में अगर राज्य समय पर अपील नहीं करता तो यह केवल प्रक्रियात्मक चूक नहीं बल्कि पीड़ित की न्याय की उम्मीदों पर गहरा प्रहार है।”

इस मामले में राज्य सरकार ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 308 के तहत आरोप से दोषमुक्त किए गए दो व्यक्तियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने में 325 दिन की देरी की थी। राज्य ने इसे प्रशासनिक प्रक्रियाओं और फ़ाइलों की एक टेबल से दूसरी टेबल तक यात्रा का परिणाम बताया।

कोर्ट ने देरी को जानबूझकर या दुर्भावनापूर्ण नहीं मानते हुए इसे माफ कर दिया। साथ ही राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी भी दी।

अदालत ने कहा,

“ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं, जो बेहद गंभीर चिंता का विषय हैं। कोर्ट उदार रुख अपना सकता है, लेकिन यह उदारता सरकारी ढिलाई और प्रणालीगत सुस्ती के लिए ढाल नहीं बन सकती।"

न्यायालय ने दिल्ली सरकार के अभियोजन निदेशक को निर्देश दिया कि वे यह जांच करें कि अपील में देरी की वजह क्या रही और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

कोर्ट ने सख्त शब्दों में कहा,

“राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि जांच अधिकारी, अभियोजक और प्रशासनिक विभाग समयबद्ध तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभाएं। तभी जनता का आपराधिक न्याय प्रणाली पर भरोसा कायम रह सकता है।”

गौरतलब है कि ट्रायल कोर्ट ने जिन दो अभियुक्तों को धारा 308 के आरोप से बरी किया था। उनके खिलाफ केवल मामूली धाराओं में आरोप तय किए गए थे। लेकिन हाईकोर्ट ने माना कि मामला अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम से जुड़ा हुआ है और ऐसे गंभीर मामलों में उचित न्यायिक समीक्षा जरूरी है।

निष्कर्ष:

हाईकोर्ट ने अपील की देरी को माफ करते हुए पुनर्विचार याचिका स्वीकार की। साथ ही स्पष्ट किया कि अभियुक्तों को सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिलेगा।

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