दिल्ली उपभोक्ता आयोग ने SBI को गलत तरीके से बाउंस हुई कार लोन EMI पर मुआवज़ा देने का आदेश दिया
दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग, जिसकी पीठ में सदस्य सुश्री बिमला कुमारी शामिल थीं, ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को सेवा में कमी और अनुचित व्यापार प्रथा के लिए दोषी ठहराया। आयोग ने पाया कि पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद शिकायतकर्ता की 11 EMI किस्तें ECS के माध्यम से अस्वीकृत कर दी गईं और गलत तरीके से बाउंस शुल्क वसूला गया। आयोग ने जिला मंच का आदेश रद्द करते हुए SBI को ₹1,50,000 मानसिक उत्पीड़न के लिए और ₹20,000 मुकदमेबाज़ी खर्च के रूप में देने का निर्देश दिया, साथ ही देरी होने पर 7% वार्षिक ब्याज लगाने का आदेश दिया।
मामले के तथ्य:
शिकायतकर्ता सुश्री छाया शर्मा, निवासी करावल नगर, दिल्ली, ने एसबीआई और एचडीएफसी बैंक के खिलाफ शिकायत दर्ज की। उन्होंने बताया कि उनका कार लोन एचडीएफसी से था और ईएमआई कटौती एसबीआई खाते से ईसीएस के माध्यम से होनी थी। लेकिन 11 ईएमआई अस्वीकृत कर दी गईं — तीन “पर्याप्त धनराशि न होने” और आठ “अमान्य खाता” कारणों से, जबकि खाते में हर बार पर्याप्त राशि थी। इसके बावजूद ₹4,400 बाउंस शुल्क वसूले गए।
बार-बार शिकायत करने पर भी एसबीआई ने कोई कार्रवाई नहीं की। जिला आयोग ने शिकायत तकनीकी मामला बताते हुए खारिज कर दी, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने राज्य आयोग में अपील दायर की।
आयोग के अवलोकन व निर्णय:
आयोग ने पाया कि शिकायतकर्ता के खाते में हर बार पर्याप्त राशि थी और एसबीआई यह साबित नहीं कर सका कि कोई गलती एचडीएफसी की थी। इस प्रकार, ईएमआई अस्वीकृति और गलत शुल्क लगाना सेवा में स्पष्ट कमी है।
आयोग ने एसबीआई को ₹1.50 लाख मुआवज़ा और ₹20,000 मुकदमेबाज़ी खर्च देने का आदेश दिया तथा देरी पर 7% ब्याज लगाने का निर्देश दिया।