यदि मशीन का उपयोग कर्मचारी करते हैं, तो इसे 'स्वरोजगार' के लिए खरीद नहीं माना जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक निर्णय दिया कि जब कोई उत्पाद खरीदार के कर्मचारियों द्वारा किसी स्थापित कामर्शियल उद्यम में उपयोग करने के लिए खरीदा जाता है, न कि स्वयं खरीदार द्वारा, तो ऐसे में खरीदार को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत 'उपभोक्ता' नहीं माना जा सकता।
अदालत ने आगे यह भी टिप्पणी की कि यदि कोई खरीदार किसी उत्पाद का उपयोग 'स्वरोजगार' के लिए करता है, तो उसे अधिनियम के तहत 'उपभोक्ता' माना जा सकता है, लेकिन प्रत्येक मामले के तथ्यों की जांच आवश्यक होगी।
जस्टिस ए.एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उपभोक्ता शिकायत को स्वीकार न किए जाने के फैसले को बरकरार रखा गया था।
याचिकाकर्ता ने एक मशीन खरीदी थी, जिसका मॉडल MPS GD 1212-300W HSLC सीरीज लेजर कटिंग मशीन और बेंडिंग मशीन था, जिसके माध्यम से डाई का निर्माण कम लागत और अधिक सटीकता के साथ किया जा सकता था।
कुछ दोषों और उत्पाद के संचालन में कठिनाइयों के कारण, याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में एक शिकायत दर्ज की।
राज्य आयोग ने शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि चूंकि यह उत्पाद याचिकाकर्ता की कामर्शियल गतिविधियों का हिस्सा था, इसलिए याचिकाकर्ता को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 2(1)(d) के तहत 'उपभोक्ता' नहीं माना जा सकता। इस आधार पर याचिका को ग्राह्यता के अभाव में खारिज कर दिया गया।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि हालांकि मशीन का उपयोग कामर्शियल कारणों से किया गया था, लेकिन यह मुख्य रूप से 'स्वरोजगार' के उद्देश्य से इस्तेमाल की गई थी, जिससे याचिकाकर्ता 'उपभोक्ता' की परिभाषा में आएगा। वकील ने सुप्रीम कोर्ट के Paramount Digital Colour Lab & Ors. Vs. Agfa India Private Limited & Ors. मामले के फैसले पर भी भरोसा किया, जिसमें कहा गया था कि यह निर्धारित करने के लिए कि उत्पाद का उपयोग 'स्वरोजगार' के लिए किया गया है या 'व्यावसायिक उद्देश्य' के लिए, प्रत्येक मामले के तथ्यों की जांच आवश्यक है।
न्यायालय ने माना कि यद्यपि खरीदी गई मशीन का एक कामर्शियल उद्देश्य था, फिर भी इसे "स्वरोजगार" के लिए उपयोग किया गया था, क्योंकि मशीन का उपयोग स्वयं उपभोक्ता द्वारा किया गया था और उसके व्यवसाय का आकार भी छोटा था।
इस मामले को वर्तमान मामले से अलग बताते हुए, खंडपीठ ने नोट किया कि याचिकाकर्ता पहले से ही एक कामर्शियल उद्यम चला रहा था और उसने अपने पहले से स्थापित व्यवसाय का विस्तार करने के लिए मशीन खरीदी थी, जहां वह स्वयं मशीन का उपयोग नहीं कर रहा था, बल्कि अपने कर्मचारियों से काम करवा रहा था।
अदालत ने अपील आदेश को बरकरार रखते हुए कहा, "उपरोक्त मामले यानी Paramount Digital (Supra) में, दो बेरोजगार स्नातक व्यक्तियों ने मशीन खरीदी थी, जो स्पष्ट रूप से 'स्वरोजगार' के लिए थी। लेकिन वर्तमान मामले में, याचिकाकर्ता/शिकायतकर्ता पहले से ही एक कामर्शियल उद्यम चला रहा था और उसने अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए मशीन खरीदी थी। यह ऐसा मामला नहीं है जहां याचिकाकर्ता स्वयं मशीन चला रहा था, बल्कि उसने काम करने के लिए मजदूर रखे थे। इन परिस्थितियों में, चाहे उद्यम कितना भी छोटा क्यों न हो, इसे अधिनियम के तहत 'स्वरोजगार' नहीं कहा जा सकता। इसलिए, हम राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग द्वारा लिए गए निर्णय से भिन्न राय रखने का कोई कारण नहीं पाते हैं। विशेष अनुमति याचिका, तदनुसार, खारिज की जाती है।"
अदालत ने आगे यह स्पष्ट किया कि "यदि याचिकाकर्ता आज से चार सप्ताह के भीतर सिविल मुकदमा दायर करता है, तो उसे सीमांकन अधिनियम, 1963 की धारा 14 पर भरोसा करने की स्वतंत्रता होगी और इसे विधि के अनुसार निपटाया जाएगा।"