मरम्मत किए बिना फोन रोकने पर Insurance Company दोषी; उपभोक्ता को 25,000 रुपये मुआवज़ा देने का आदेश

Update: 2025-11-17 10:15 GMT

दक्षिण-पश्चिम दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने उपभोक्ता के मोबाइल फोन की मरम्मत न करने और वादा किए गए स्टैंडबाय हैंडसेट उपलब्ध न कराने पर M/s Paladin Systems Pvt. Ltd. को सेवा में कमी का दोषी ठहराते हुए 25,000 रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया है। आयोग की पीठ में अध्यक्ष श्री सुरेश कुमार गुप्ता और सदस्य डॉ. हर्शाली कौर शामिल थे।

क्या है मामला?

शिकायतकर्ता पंकज कुमार ने नवंबर 2013 में Samsung Galaxy S4 Mini फोन खरीदा था। खरीद के समय उन्होंने प्रतिवादी कंपनी Paladin Systems का दो वर्षीय प्रोटेक्शन/इंश्योरेंस प्लान भी लिया था, जिसमें डोरस्टेप पिकअप-डिलीवरी, मरम्मत सेवा और मरम्मत अवधि के दौरान स्टैंडबाय फोन देने का वादा किया गया था।

फरवरी 2015 में फोन की स्क्रीन खराब होने पर शिकायतकर्ता ने प्लान के तहत Paladin Systems से संपर्क किया। 26 फरवरी 2015 को कंपनी के प्रतिनिधि ने फोन अपने कब्जे में लेकर जॉब शीट जारी की और 24 घंटे के भीतर मरम्मत कर लौटाने या स्टैंडबाय फोन देने का आश्वासन दिया।

लेकिन कंपनी ने न तो फोन लौटाया और न ही कोई स्टैंडबाय डिवाइस दिया।

ई-मेल और नोटिस भी रहे बेअसर

शिकायतकर्ता ने 18 मार्च 2015 से 14 मई 2015 तक कई ई-मेल भेजकर अपनी शिकायत दर्ज कराई, पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। 1 जून 2015 को भेजी गई लीगल नोटिस का भी कोई जवाब नहीं आया। मजबूर होकर उन्होंने आयोग में शिकायत दायर की।

कंपनी नहीं पेश हुई, आयोग ने माना सेवा में कमी

नोटिस के बावजूद कोई भी प्रतिवादी आयोग के सामने पेश नहीं हुआ। Samsung India को शिकायतकर्ता के अनुरोध पर मामले से हटा दिया गया, जबकि दूसरे प्रतिवादी David Sales & Solutions के खिलाफ कोई कमी नहीं पाई गई क्योंकि मोबाइल एक साल से अधिक समय तक सही चला।

Paladin Systems के अनुपस्थित रहने पर शिकायतकर्ता के साक्ष्य—प्रोटेक्शन प्लान दस्तावेज, जॉब शीट, ई-मेल रिकॉर्ड—बिना किसी चुनौती के आयोग के सामने रहे। आयोग ने माना कि कंपनी ने अपने संविदात्मक दायित्व पूरे नहीं किए और उपभोक्ता को मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न झेलना पड़ा।

आयोग का आदेश:

आयोग ने Paladin Systems Pvt. Ltd. को आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ता को—

₹20,000 मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए

₹5,000 मुकदमेबाज़ी खर्च के लिए

यानी कुल ₹25,000 का भुगतान तीन महीने के भीतर करे।

अन्यथा ₹20,000 वाली राशि पर आदेश की तारीख से 6% वार्षिक ब्याज लगेगा।


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