केरल उपभोक्ता आयोग ने तीर्थ यात्रा के दौरान गंदी ट्रेन और खराब सेवाओं के लिए IRCTC व साउथर्न रेलवे को ₹50,000 मुआवजा देने का आदेश दिया
एर्नाकुलम उपभोक्ता आयोग का आदेश — 'आस्था पुण्य तीर्थ यात्रा' में लापरवाही पर IRCTC और साउथर्न रेलवे को ₹20,500 टिकट राशि वापसी और ₹50,000 मुआवजा देने का निर्देश
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, एर्नाकुलम ने भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम लिमिटेड (IRCTC) और साउथर्न रेलवे को एक यात्री को ₹20,500 की टिकट राशि लौटाने और ₹50,000 का मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग ने दोनों को सेवा में कमी (deficiency in service) और अनुचित व्यापारिक आचरण (unfair trade practice) का दोषी पाया।
मामला उस यात्री की शिकायत से जुड़ा था जिसने IRCTC की 'आस्था पुण्य तीर्थ यात्रा' में हिस्सा लिया था और यात्रा के दौरान अव्यवस्था, देरी और खराब सुविधाओं की शिकायत की थी।
शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने 11 दिन की यात्रा के लिए टिकट खरीदा था, जिसमें पुरी, कोणार्क, गया, वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज जैसे धार्मिक स्थलों का दौरा शामिल था। हालांकि, समय पर स्टेशन पहुंचने के बावजूद ट्रेन एक दिन देरी से रवाना हुई और गंदगी भरी स्थिति में थी। शिकायत में कहा गया कि देरी के दौरान यात्रियों के लिए भोजन या ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं थी, यात्रा दो दिन पहले समाप्त कर दी गई और कोणार्क मंदिर दर्शन के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला। भोजन की गुणवत्ता खराब थी और ट्रेन में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था, जिससे यात्रियों को काफी दिक्कत हुई।
वहीं IRCTC ने बचाव में कहा कि देरी का कारण चेन्नई में आया चक्रवात था और यात्रियों को फोन पर सूचना दी गई थी। उसने दावा किया कि भोजन खराब नहीं था, ठहरने की व्यवस्था मंदिरों के पास की गई थी और यात्रा के दौरान ऑन-कॉल डॉक्टर सेवा उपलब्ध थी।
आयोग ने कहा कि IRCTC यह साबित नहीं कर सका कि यात्रियों को पहले से देरी की सूचना दी गई थी। इसके अलावा, ट्रेन के देर से आने और यात्रियों के “जल्दबाजी में चढ़ने” की बात से स्पष्ट है कि ट्रेन की सफाई ठीक से नहीं की गई थी। आयोग ने यह भी माना कि रास्ते संकरे और भीड़भरे थे, जिससे यात्रियों को असुविधा हुई।
आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि शिकायतकर्ता ने सेवा में कमी और अनुचित व्यापारिक आचरण साबित कर दिया है।
आदेश में कहा गया है कि IRCTC और साउथर्न रेलवे दोनों संयुक्त रूप से जिम्मेदार होंगे और उन्हें —
• ₹20,500 की टिकट राशि वापस करनी होगी,
• ₹50,000 मुआवजा मानसिक पीड़ा और असुविधा के लिए देना होगा,
• और ₹3,000 मुकदमे के खर्च के रूप में अदा करने होंगे।