जिला आयोग बीकानेर ने उत्तर पश्चिम रेलवे को 3rd AC बोगी में ओवरलोडिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, बीकानेर (राजस्थान) के अध्यक्ष श्री दीन दयाल प्रजापत, श्री पुखराज जोशी (सदस्य) और श्रीमती मधुलिका आचार्य (सदस्य) की खंडपीठ ने उत्तर पश्चिम रेलवे को ट्रेन में ओवरलोडिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिससे शिकायतकर्ता और उसके परिवार को गंभीर असुविधा हुई थी। आरक्षित ट्रेन कोच फर्श पर सो रहे लोगों से भरा हुआ था, जिससे वैध ट्रेन टिकट के साथ यात्रा करने वाले यात्रियों को असुविधा और भीड़ का सामना करना पड़ा। जिला आयोग ने उत्तर पश्चिम रेलवे को शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में 10,000 रुपये और कानूनी लागत के रूप में 5,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।
पूरा मामला:
श्री केशव ओझा (शिकायतकर्ता) ने अपने और अपने परिवार के लिए थर्ड एसी श्रेणी में जयपुर से बीकानेर की यात्रा करने के लिए 1446 रुपये का भुगतान करके टिकट बुक किया। हालांकि, ट्रेन में चढ़ने पर, उन्होंने पाया कि अन्य व्यक्ति उनके द्वारा बूक दो सीटों पर कब्जा किए हुये थे। इसके अतिरिक्त, उनकी पूरी यात्रा के दौरान, उनके कोच में एयर कंडीशनिंग (एसी) काम नहीं कर रहा था, और कोई अटेंडेंट मौजूद नहीं था। कई अनुरोधों और रेलवे सेवा में दर्ज शिकायत के बावजूद, टिकट परीक्षक (टीटीई) शिकायतकर्ता और उसकी पत्नी के लिए केवल एक सीट प्रदान करने में कामयाब रहा, भले ही उसने शुरू में दो सीटों के लिए भुगतान किया था। ये सीटें केवल ट्रेन यात्रा के आधे रास्ते में आवंटित की गई।
शिकायतकर्ता ने पाया कि कोच में यात्रियों की क्षमता से अधिक यात्री सवार थे, जिनमें से कई बिना टिकट यात्रा कर रहे थे। रेलवे सेवा पोर्टल पर कई शिकायतें दर्ज की गईं, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। अंत में, शिकायतकर्ता ने बीकानेर, राजस्थान में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में उपभोक्ता शिकायत दर्ज कराई।
उत्तर पश्चिम रेलवे ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि शिकायतकर्ता ने तथ्यों को सही तरीके से नही पेश किया। रेलवे के अनुसार, टीटीई ने विधिवत टिकटों की जांच की, और वैध टिकट के बिना व्यक्तियों को ट्रेन से हटा दिया गया था। शुरुआत में, रेलवे के नियंत्रण से परे, एक सरकारी सेवा भर्ती कार्यक्रम के कारण ट्रेन में भीड़ थी। हालांकि, ज्यादातर यात्री एक स्टेशन के बाद उतर गए थे। रेलवे ने यह भी तर्क दिया कि एसी ठीक से काम कर रहा था, और शिकायतकर्ता की शिकायतों को सुना गया था और तुरंत हल किया गया था।
आयोग की टिप्पणियां:
जिला आयोग ने शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत सबूतों की पूरी तरह से जांच की और आरक्षित थर्ड एसी कोच के फर्श पर सोते हुए कई अतिरिक्त यात्रियों की तस्वीरें देखीं। इसके अतिरिक्त, जिला आयोग ने ध्यान दिया कि उत्तर पश्चिम रेलवे ने कोच की क्षमता से अधिक यात्रियों की अत्यधिक संख्या को स्वीकार किया।
इन निष्कर्षों के जवाब में, जिला आयोग ने सिफारिश की कि रेलवे केवल ट्रेन की सीमित क्षमता के भीतर उपलब्ध सीटों के लिए टिकट जारी करे। सामान्य श्रेणी के डिब्बों में ओवरलोडिंग की प्रथा पर प्रकाश डाला गया, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप अक्सर यात्री आरक्षित कोचों में स्थानांतरित हो जाते हैं, जिससे सभी को सीमित स्थान में समायोजित करने में असुविधा होती है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद, जिला आयोग ने सेवा में कमी के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे को जिम्मेदार ठहराया और उन्हें शिकायतकर्ता को 10,000 रुपये का मुआवजा देने और 5,000 रुपये लिटिगेशन चार्ज देने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: केशव ओझा बनाम उत्तर पश्चिम रेलवे और अन्य
केस नंबर: उपभोक्ता शिकायत संख्या 246/2022
शिकायतकर्ता के वकील: दुष्यंत आचार्य
प्रतिवादी के वकील: राजेश कुमार
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