जिला आयोग, प्रतापगढ़ ने इंश्योरेंस कंपनी को गाय के बीमा को गलत तरिके से अस्वीकार करने के लिए जिम्मेदार ठहराया

Update: 2023-12-18 12:50 GMT

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) के अध्यक्ष श्री यशवंत कुमार मिश्रा और श्रीमती ममता गुप्ता (सदस्य) की खंडपीठ ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को बीमारी के कारण मरने वाली गाय के लिए बीमा दावे को गलत तरीके से अस्वीकार करने के लिए उत्तरदायी ठहराया। इस दावे को केवल सर्वेयर रिपोर्ट में लिखी गई एक अलग पहचान संख्या के आधार पर खारिज कर दिया गया था। प्रस्तुत किए गए सबूतों के आधार पर जिला आयोग ने कहा कि यह केवल टाइपिंग त्रुटि थी जिसके कारण भ्रम पैदा हुआ।

पूरा मामला:

श्री लल्लन शर्मा (शिकायतकर्ता) ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से अपनी काली गाय का बीमा कराया। बीमा कंपनी ने गाय के कान पर एक पहचान टैग संलग्न किया, जिसका नंबर 854550 था। बीमा पॉलिसी कराने के दो महीने बाद, शिकायतकर्ता की गाय बीमार पड़ गई और बाद में उसकी मृत्यु हो गई। पोस्टमॉर्टम किया गया और पहचान टैग के साथ गाय के कान को काट लिया गया और बीमा कंपनी को सौंप दिया गया। इसके बाद, शिकायतकर्ता ने बीमा कंपनी से बीमा राशि के लिए दावा प्रस्तुत किया। हालांकि, इस दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि सर्वेयर रिपोर्ट में कान के टैग की पहचान संख्या के रूप में '854550' के बजाय '844550' लिखा गया है। परेशान होकर, शिकायतकर्ता ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में उपभोक्ता शिकायत दर्ज की।

शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि बीमा कंपनी के सर्वेयर ने जानबूझकर रिपोर्ट में गलत पहचान टैग नंबर लिखा ताकि दावे को अस्वीकार किया जा सके। दूसरी ओर, बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि नामित गाय की मृत्यु हो चुकी है क्योंकि पहचान टैग नंबर के अलावा, गाय का रंग भी अलग था।

आयोग की टिप्पणियां:

जिला आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता के पास 2 गायें थीं। शिकायतकर्ता ने केवल एक गाय का बीमा कराया था जो काली थी। जिला आयोग ने इस सवाल के मेरिट पर गौर किया कि क्या शिकायतकर्ता के पास संभवतः तीसरी गाय थी जो काली ही थी। हालांकि, प्रस्तुत सबूतों के आधार पर, यह निष्कर्ष निकाला गया कि जो गाय काली थी, उसी कि मृत्यु हुई थी। नतीजतन, जिला आयोग ने माना कि प्रथम दृष्टया, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सर्वेयर ने सर्वेयर रिपोर्ट लिखते समय टाइपिंग की गलती की और पहचान संख्या को '854550' के बजाय '844550' में बदल दिया।

इन निष्कर्षों के आधार पर, जिला आयोग ने बीमा कंपनी को बीमा राशि, यानी 45,000 रुपये का वितरण करने और शिकायतकर्ता को 9% ब्याज के साथ मुआवजे के रूप में 10,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: लल्लन शर्मा बनाम डिवीजनल मैनेजर, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

केस नंबर: शिकायत संख्या 63/2021

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