अनधिकृत UPI लेनदेन पर कार्रवाई न करने के लिए चंडीगढ़ उपभोक्ता आयोग ने SBI को ठहराया जिम्मेदार

Update: 2025-11-24 09:39 GMT

चंडीगढ़ स्थित जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को एक उपभोक्ता के खाते से हुए अनधिकृत UPI लेनदेन पर समय पर कार्रवाई न करने का दोषी ठहराते हुए राशि वापस करने का आदेश दिया है। आयोग की पीठ, जिसमें अध्यक्ष अमरीन्दर सिंह सिद्धू और सदस्य बी.एम. शर्मा शामिल थे, ने कहा कि बैंक RBI के अनिवार्य दिशा-निर्देशों का पालन करने में विफल रहा।

मामले के अनुसार, शिकायतकर्ता संजीव कुमार शर्मा के SBI, हाईकोर्ट ब्रांच खाते से 21 जुलाई 2021 को पाँच अनधिकृत UPI लेनदेन के माध्यम से कुल ₹99,940 की राशि निकाल ली गई। शिकायतकर्ता ने तुरंत खाते और मोबाइल नंबर को ब्लॉक कराया तथा साइबर क्राइम सेल और बैंक को घटना की सूचना दी। इसके बावजूद SBI ने न तो निर्धारित समय में राशि वापस की और न ही मामले की जांच पूरी की।

शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उसने किसी भी प्रकार की गोपनीय बैंकिंग जानकारी साझा नहीं की और RBI द्वारा निर्धारित समयसीमा में शिकायत दर्ज कराई। लेकिन बैंक ने उसकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की, जिससे उसे आर्थिक नुकसान, मानसिक तनाव और असुविधा का सामना करना पड़ा।

दूसरी ओर, SBI ने तर्क दिया कि सभी लेनदेन UPI PIN से सत्यापित होते हैं और बिना शिकायतकर्ता की अनुमति या PIN साझा किए ये संभव ही नहीं थे। इसलिए बैंक ने किसी भी प्रकार की सेवा में कमी से इनकार किया।

आयोग ने SBI के इन तर्कों को अस्वीकार करते हुए कहा कि RBI के "अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में ग्राहक की देयता सीमित करने" संबंधी दिशानिर्देशों के तहत, लेनदेन की समय पर सूचना देने पर ग्राहक की लापरवाही साबित करने की जिम्मेदारी बैंक की होती है। SBI इस संबंध में कोई भी ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया।

आयोग ने माना कि SBI ने 10 कार्यदिवस में अंतरिम क्रेडिट देने और 90 दिनों में जांच पूरी करने के निर्देशों का पालन नहीं किया। इसे स्पष्ट सेवा में कमी करार देते हुए आयोग ने SBI को शिकायतकर्ता को ₹99,940 राशि 9% ब्याज सहित लौटाने तथा ₹10,000 मानसिक उत्पीड़न व वाद व्यय के रूप में देने का आदेश दिया।

बैंक को आदेश की प्रति प्राप्त होने के 45 दिनों के भीतर अनुपालन करना होगा।

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