जिला उपभोक्ता आयोग ने मेडिकल लापरवाही के चलते उंगलियां कटने पर अस्पताल और डॉक्टरों को 50 लाख रुपये मुआवजे का आदेश दिया

Update: 2025-10-13 12:10 GMT

चंडीगढ़ की जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-II ने हीलिंग हॉस्पिटल, पैरामेडिकल साइंसेज इंस्टीट्यूट और तीन डॉक्टरों को मेडिकल लापरवाही का दोषी पाया। आयोग ने शिकायतकर्ता को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।

मामले की पृष्ठभूमि:

45 साल की महिला को 25 नवंबर 2020 को पेट और पाचन संबंधी समस्या के कारण हीलिंग हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने बाईं बांह में कैनुला डाला। इसके बाद हाथ में सूजन और दर्द शुरू हुआ। 28 नवंबर की रात दर्द बढ़ गया, लेकिन डॉक्टरों ने हल्की दवा और ड्रेसिंग तक सीमित रखा। 29 नवंबर को महिला का हाथ नीला और सुन्न हो गया। जब हालत बिगड़ी, डॉक्टरों ने सर्जरी शुरू की, लेकिन बीच में रोककर मरीज को पीजीआई, चंडीगढ़ भेज दिया। पीजीआई में इलाज के दौरान महिला के बाईं हाथ की चार उंगलियां काटनी पड़ीं और 85% स्थायी विकलांगता प्रमाण पत्र जारी हुआ।

शिकायतकर्ता की दलील:

महिला ने कहा कि अस्पताल और डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से उसके हाथ की उंगलियां कट गईं और वह जीवनभर विकलांग हो गई। उन्होंने कहा कि कैनुला समय पर नहीं हटाया गया और ऑपरेशन बीच में छोड़कर मरीज को खुले घाव के साथ भेजा गया। उन्होंने कुल 1.51 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा।

हॉस्पिटल और डॉक्टरों की दलील:

डॉक्टरों ने कहा कि मरीज पहले से ही संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित थी। उनका कहना था कि कैनुला और इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई और मरीज को पीजीआई भेजना जरूरी था।

आयोग का निर्णय:

आयोग ने पाया कि अस्पताल ने मरीज के हाथ में सूजन और दर्द के लक्षणों को नजरअंदाज किया और ऑपरेशन बीच में छोड़कर उसे पीजीआई भेजा, जो गंभीर लापरवाही है।

मुआवजा आदेश:

आयोग ने हीलिंग हॉस्पिटल और डॉक्टरों को संयुक्त रूप से 50 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। भुगतान 45 दिनों में होना चाहिए, और देर होने पर 9% वार्षिक ब्याज लगेगा।

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