छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य साइबर पुलिस स्टेशनों में विशेषज्ञों की कमी पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की, डीजीपी से व्यक्तिगत शपथ पत्र मांगा

Update: 2024-04-25 10:06 GMT

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में सूबे के साइबर पुलिस स्टेशनों में विशेषज्ञ कर्मियों की कमी पर एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की। कोर्ट ने राज्य की साइबर अपराध जांच इकाइयों में विशेषज्ञ पेशेवरों की कमी संबंध‌ित 24 अप्रैल, 2024 को "बिलासपुर भास्कर" में प्रकाशित समाचार रिपोर्टों के आधार पर इस मुद्दे पर स्वतंः संज्ञान लिया।

समाचार पत्र में प्रकाशित लेख का शीर्षक था-"रेंज साइबर थानों में 7 माह में सिर्फ 7 केस, क्योंकि एक्सपर्ट की भर्ती नहीं"। लेख का उपशीर्षक था- "खुद ही बचें ठगों से, प्रदेश में सिर्फ तीन साइबर एक्सपर्ट इंस्पेक्टर, कौन करे जांच"।

जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनीश दुबे ने कहा,

“उक्त समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर पुलिस स्टेशन में सात महीने की अवधि में केवल सात मामलों को दर्ज किया गया है, क्योंकि उक्त पुलिस स्टेशन में विशेषज्ञों की कमी है। इसके अलावा, पिछले तीन महीनों में साइबर क्राइम संबंधित एक भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।"

इस बात पर जोर देते हुए कि साइबर अपराध और धोखाधड़ी प्रतिदिन बढ़ रही है और ठग और अपराधी निर्दोष लोगों के बैंक खातों से भारी मात्रा में पैसा उड़ा रहे हैं, अदालत ने कहा कि उक्त समाचार रिपोर्ट बताती है कि बिलासपुर जिले में ही पिछले छह वर्षों में 775 लोगों से 4.82 करोड़ रुपये ठगे गए हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि बिलासपुर रेंज के अंतर्गत आने वाले सभी पुलिस स्टेशनों के लिए, बिलासपुर में केवल एक साइबर पुलिस स्टेशन है और उसके पास भी उचित सामग्री नहीं है और विशेषज्ञों की कमी है जो मामले की तुरंत और कुशलता से जांच कर सकें, क्योंकि पूरे प्रदेश में साइबर कैडर के केवल तीन इंस्पेक्टर उपलब्ध हैं।

इस पृष्ठभूमि में, न्यायालय ने साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए साइबर पुलिस स्टेशन में विशेषज्ञों की कमी के संबंध में पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़, रायपुर से व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 9 मई को तय की गई है।

आदेश पढ़ने और डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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